‘अगर एक लड़की भागती है, तो यह हमेशा जरूरी नहीं है
कि कोई लड़का भी भागा होगा, कई दूसरे जीवन प्रसंग हैं
जिनके साथ वह जा सकती है, कुछ भी कर सकती है’
‘आलोक’ धन्वा की दिल को छू लेने वाली कविता की ये लाइन उस समाज की ओर इशारा करती हैं जहां पर लड़की का घर छोड़कर जाना, भागना होता है. वहीं लड़का-लड़की साथ में भागे तो हमारे देश में ‘हॉरर किलिंग’ तक हो जाती है
लेकिन इन सभी बातों से परे देश का एक हिस्सा ऐसा है जहां पर लड़के-लड़कियां भागकर शादी कर रहे हैं और इसे कोई अपराध या सामाजिक बुराई के तौर पर नहीं देखा जा रहा बल्कि ये वहां की प्रथा है.
हिमाचल में लगता है मेला
हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में केलौंग एक कबीलाई इलाका है. हर 15 अगस्त को यहां एक मेला लगता है. खास बात ये है कि इस मेले में प्यार करने वाले लड़के-लड़कियों की मौज होती है. उन्हें यहां अपने मन का पार्टनर चुनने की आजादी मिलती है.
सोच-समझकर उठाते हैं कदम
यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले लड़के-लड़कियां एक-दूसरे को बिना जाने ही सिर्फ आर्कषित होकर एक-दूसरे के साथ भाग जाते थे लेकिन अब दोनों अच्छी तरह एक-दूसरे को जानकर ही जिंदगी साथ बिताने का कदम उठाते हैं.
जान का जोखिम भी कम नहीं
वहीं ऐसा नहीं है कि सिर्फ भागने से ही इनकी शादी करवा दी जाती है बल्कि लड़के-लड़की को तेज भागकर कहीं छुपना पड़ता है. ऐसे में अगर भीड़ जोड़े तो पकड़ लेती है तो लड़के की पिटाई की जाती है और लड़की को उसके घरवालों को सौंप दिया जाता है. ऐसे में लड़की के घरवाले शादी से इंकार कर सकते हैं.
दहेज का नामो-निशान नहीं
यहां पर ना दहेज लिया जाता है और ना ही दिया जाता है. शादी के वक्त लड़के वाले लड़की के परिवार वालों को सिक्योरिटी की रकम देते हैं. वहीं जब लड़के-लड़की जब अंडरग्राउड हो जाते हैं तो लड़के वाले लड़की के घर सजी-धजी शराब की बोतल ले जाकर लड़की के घरवालों को मनाने की कोशिश करते हैं. वहीं, कुछ सालों पहले मेले के बहाने लड़की का अपहरण कर उसके साथ जोर जबर्दस्ती की घटनाएं भी हो चुकी है, जिसके बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई और लोग चौकस हो गए…Next
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