अयोध्या विवादित ढांचे की लड़ाई में ना जाने कितने लोगों ने अपनी जान गंवा दी. मंदिर-मस्जिद की लड़ाई एक ऐसा इतिहास बन गई, जो किताबों में दर्ज होकर बच्चों के लिए एक चैप्टर बन गया. दशकों से कोई स्थाई रास्ता नहीं मिल पाया. अयोध्या विवाद से कई ऐसी घटनाएं जुड़ी हुई हैं, जिनके जख्म भर पाना बहुत ही मुश्किल है. लेकिन अब एक ऐसी खबर आई जिसे राहत से ज्यादा हिम्मती पहल के तौर पर देखा जाना चाहिए.
दरअसल, शिया वक्फ बोर्ड ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके कहा है ‘विवादित जमीन पर राम मंदिर बनना चाहिए और उससे थोड़ी दूर मुस्लिम इलाके में मस्जिद बनाई जानी चाहिए. इसके अलावा शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि इस फैसले से रोज-रोज की लड़ाई से मुक्ति मिलेगी और सालों से चलते आ रहे विवाद को सुलझाने में मदद मिलेगी. ये खबर इतनी वायरल हो गई कि सोशल मीडिया पर ‘बाबरी मस्जिद ट्रेंड करने लगा, लेकिन क्या आप जानते हैं जिस मस्जिद को बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है, उसे कभी मुगल शासक बाबर ने बनवाया ही नहीं था.
मीर बाकी ताशकंदी ने बनवाई थी मस्जिद
बाबरी मस्जिद असल में बाबर की सेना के एक जनरल मीर बाकी ताशकंदी ने बनवाई थी. मीर बाक़ी ‘ताशकंद’ का रहने वाला था. बाबर ने उसे अवध प्रांत का गवर्नर बनाकर भेजा था. कहा जाता है कि पानीपत की पहली लड़ाई में विजय के बाद बाबर की सेना ने जब अवध का रुख किया तब बाबर आगरा में ही रुक गया था. उसने मीर बाकी को कमान सौंप दी थी. मीर बाबर के प्रोत्साहन से इतना खुश हुआ कि उसने एक खास मस्जिद बाबर के लिए बनवाई और इसका नाम ‘बाबरी मस्जिद’ रख दिया.
बाबर की जीवनी ‘बाबरनामा’ में भी तमाम छोटी बड़ी घटनाओं का जिक्र किया गया है लेकिन कहीं भी बाबर ने इस मस्जिद को बनवाने का जिक्र नहीं किया है. इससे ये अंदाजा लगाया जाता है कि एक मुगल बादशाह होने के नाते बाबर को कई तोहफे मिला करते थे, जो बाबर के लिए बड़ी बात नहीं थी, शायद इस वजह से मीर के दिए इस तोहफे का जिक्र नहीं है. …Next
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