आपने अक्सर लोगों को बोलते हुए सुना होगा ‘गामा पहलवान’. शायद कभी इन लोगों को टीवी पर देखा भी हो, क्योंकि भारत में इन्हें लाइव देखना थोड़ा मुश्किल है. भारत में सूमो पहलवान के लिए कोई खेल नहीं है, जिसमें वे हिस्सा ले सकें. एक सूमो पहलवान को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह खूब सारा खाना खाते होंगे. मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि सूमो पहलवान बनने के लिए खाने के अलावा भी बहुत कुछ करना पड़ता है.
डाइट में होती है करीब 10 हजार कैलोरी की मात्रा
माना जाता है कि जापान के राष्ट्रीय खेल को खेलने वाले खिलाड़ी सूमो पहलवान बनने की तैयारी करीब 15-16 साल की उम्र से ही शुरू कर देते हैं. सूमो पहलवान दिन में महज दो बार खाते हैं, लेकिन इनकी डाइट में करीब 10 हजार कैलोरी की मात्रा होती है.
सोते वक्त लगातें हैं ऑक्सीजन मास्क
सूमो पहलवान खाने में मीट, डीप फ्राई फिश और राइस खाते हैं व हरी सब्जियों का सूप पीते हैं. ज्यादा खाने की वजह से सूमो पहलवानों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. वक्त के साथ हालत यह हो जाती है कि इन्हें सोते वक्त ऑक्सीजन मास्क लगाकर सोना पड़ता है.
सामान्य लोगों से 10 साल कम जीते हैं सूमो पहलवान
अगर एक सामान्य जीवन जीने वाले आदमी की बात करें, तो उसके मुकाबले सूमो पहलवानों का जीवन कम होता है. इतना सारा खाने के बाद जिंदगी आम लोगों से कम हो जाती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूमो पहलवानों की औसत आयु, सामान्य लोगों की तुलना में 10 साल कम होती है.
3 घंटे करते हैं प्रैक्टिस
सूमो पहलवान खाने के अलावा दिन भर में 3 घंटे प्रैक्टिस करते हैं. उन्हें बचपन से ही हर तरीके से तैयार किया जाता है, फिर चाहे वो ऑटोग्राफ देना ही क्यों न हो. सूमो मठ में ही रहते हैं और एकदम टाइट रूटीन के अंतर्गत, इनके लिए आठ घंटे की नींद लेना भी जरूरी होता है…Next
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