सीरिया में हो रहे गृह युद्ध के चलते कई लोग अपने शहर और अपने घर को छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं. ऐसे में कई सारे ऐसे सीरियन रिफ्यूजी हैं, जो सड़कों पर रहने को मजबूर हैं या छोटे मोटे काम से अपना पेट भर रहे हैं. ऐसी ही एक कहानी है अब्दुल हलीम अल अत्तार की, जिन्हें भी गृह युद्ध के चलते अपना घर छोड़ना पड़ा, और लेबनान के शहर बेरुत में अपने बच्चे के साथ शरण लेने को मजबूर हुए.
कहते हैं वक्त हमेशा एक सा नहीं होता जब दिन फिरते हैं, तो रंग भी राजा बन जाता है. ऐसा ही कछ हुआ है सीरियन रिफ्यूजी हलीम अल अत्तार के साथ, जो कुछ साल पहले अपनी बेटी को कंधों पर लेकर सड़कों पर पेन बेचता था ताकि उस पैसों से उसका घर चल जाए और उसे दो वक्त की रोटी मिल जाए. दिन भर में जितना पैसा मिलता उससे हलीम अल अत्तार अपना, बेटी और बेटे का पेट भरते थे. लेकिन सिर्फ एक फोटो के कारण अचानक उनकी जिंदगी बदल गई और अब वो न केवल व्यवसाय चलाते है बल्कि अपने जैसे 16 अन्य शरणार्थियों को भी रोज़गार के साथ बेहतर ज़िन्दगी दे रहे है.
अब्दुल हलीम की यह तस्वीर जिसमें वो गर्मी में अपनी सो रही बेटी को उठाये हुए हैं, और सड़क पर पैन बेच रहे हैं. यह तस्वीर दुनिया भर के लोगों का दिल छू गयी है. फोटो वायरल हुई तो नॉर्वे के एक ऑनलाइन जर्नलिस्ट गिसर सिमोनारसन ने ट्विटर पर @buy_pens के नाम से अकाउंट और indiegogo पर क्राउडफण्डिंग अपील की, उन्होंने 5000 डॉलर का लक्ष्य दिया लेकिन 3 महीने बाद जब अपील का समय पूरा हुआ तो पता चला 1 लाख 90 हज़ार डॉलर पूरी दुनिया से लोगों ने दान किया. भारतीय मुद्रा में बात करे तो यह तकरीबन 1 करोड़ 25 लाख बैठता है.
इंटरव्यू में अब्दुल ने कहा कि ‘जब मुझे पता चला कि मेरी तस्वीर को इंटरनेट पर शेयर किया जा रहा है, तो मैं आश्चर्यचकित रह गया. मैं जहां जाता लोग मुझे पैसे देकर मदद करते और हमें खाना भी देते थे.’ पहले उन्हें यकीन नहीं हुआ, लेकिन बात जब उन्हें समझ आया कि ये सब उनकी एक तस्वीर के जरिए हुआ तो वो हैरान रह गए.
ऑनलाइन जर्नलिस्ट गिसर सिमोनारसन ने सारे पैसे अब्दुल को दिए और अब्दुल ने इन पैसों से अपना एक रेस्टोरेंट खोला है. अब्दुल कहते हैं कि, ‘वो चाहते हैं कि इस तरह के कैम्पेन हर सीरियन रिफ्यूजी के लिए चलाए जाएं, मैं खुशकिस्मत हैं कि उनके पास रहने के लिए घर है. बहुत से लोग सड़कों पर रहने के लिए मजबूर हैं.’
सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं जिन्होंने उनकी मदद की…Next
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