कुछ लोग झूठ बोलने में इतने एक्सपर्ट होते हैं कि उनकी बातें पकड़ पाना बहुत ही मुश्किल होता है. धीरे-धीरे झूठ बोलते-बोलते उन्हें ऐसी आदत पड़ जाती है कि वो अपने बड़े से बड़े अपराध को बड़ी आसानी से छुपा लेते हैं लेकिन आपने गौर किया होगा पुलिस और एंटी क्राइम डिपार्टमेंट वाले कैसे कुछ पलों में सच और झूठ का पता लगा लेते हैं.
दरअसल, हर इंसान के चेहरे में ही कई राज छुपे होते हैं. पिछले दिनों अमेरिका में खुफिया एजेंसी और क्राइम ब्यूरो में काम करने करने वाले कर्मचारियों से बात की गई थी, रिसर्च में उनसे झूठ को पकड़ने के कई तरह के तरीकों के बारे में पूछा गया. उनमें से ज्यादातर कर्मचारियों का कहना था अगर कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो कोई भी सामान्य व्यक्ति झूठ-सच का पता लगा सकता है, बिल्कुल खुफिया एंजेसियों की तरह.
अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई में 30 साल तक काम कर चुके मार्क ब्यूटन ने अपनी किताब “How to Spot Lies Like the FBI” में उन सभी तरीकों का जिक्र किया है, जिससे आप झूठ बोलने वाले का चेहरा देख कर पता कर सकते हैं कि कब वो झूठ बोल रहा है. जिस व्यक्ति से आप सच जानना चाहते हैं सबसे पहले उससे कोई ऐसी बात पूछे, जिसे सुनकर उसे बुरा ना लगे और वो सामान्य तरीके से बात कर सके. जिससे आपको पता चल जाएगा कि सामान्य स्थिति में वो व्यक्ति कैसे बात करता है.
1. झूठ बोलने वाले लोग अक्सर इधर-उधर देखते हैं. इसका कारण होता है वो उस जगह पर खुद को असहज महसूस करते हैं. इसके अलावा भी वो बार-बार दरवाजे की ओर देखते हैं.
2. जब लोगों को झूठ पकड़े जाने का डर रहता है, तो वो इधर-उधर देखकर बार-बार पलकें झपकाने लगते हैं. आमतौर पर व्यक्ति एक मिनट में 10 से 12 बार पलकें झपकाता है. लेकिन किसी तरह की टेंशन होने पर जब व्यक्ति को पता हो कि वो झूठ बोल रहा है, वो लगातार 6 से 7 बार लगातार पलकें झपकाता है.
3. जब दाएं हाथ से काम करने वाले लोग किसी आंखों देखी घटना के बारे में झूठ बोलते हैं तो वो बार-बार ऊपर दाएं तरफ देखते हैं.
4. जब दाएं हाथ से काम करने वाले लोग जब किसी सुनी-सुनाई बातों पर झूठ बोलते हैं तो वो सीधे अपनी दाई तरफ देखते हैं. अगर आप किसी दाएं हाथ से काम करने वाले व्यक्ति से सुनी-सुनाई बातों के बारे में पूछते हैं, तो वो अपनी आंख को बांए कान की तरफ करके, उसके मन ही मन याद करता है. यही व्यक्ति अगर दाएं तरफ देखता है, तो वो झूठ के बारे में सोच रहा होता है.
5. दिखावटी मुस्कान सिर्फ होठों पर दिखाई देती है. जबकि नकली मुस्कान या हंसी का आंखों पर कोई असर नहीं पड़ता. दूसरी तरफ जब कोई व्यक्ति सच में मुस्कुराता है तो उसकी आंखों के आसपास की चमड़ी सिकुड़ जाती है. …Next
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