कुछ करने का जुनून अगर आप में होता है, तो हर मुश्किल अपने आप हल हो जाती है और रास्ता आप खुद बना लेते हैं. ऐसी ही एक कहानी है मुंबई की मोटरवुमेन मुमताज एम. काजी की जो भारत की ही नहीं बल्कि एशिया की पहली महिला डीजल इंजन चालक हैं और हाल ही में उन्हें वो पुरस्कार मिला है जिसकी वो हकदार थीं, आईए जानते हैं इनकी कहानी.
मुंबई की मुमताज एम काज़ी को, जो देश ही नहीं पूरे एशिया की पहली डीजल इंजन ड्राइवर हैं समेत इस साल महिला दिवस पर अलग-अलग क्षेत्र की कई महिलाओं को पुरस्कार से नवाजा गया. मुमताज को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें नारी शक्ति पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपए की राशि और एक सर्टिफिकेट दिया जाता है.
मुमताज 20 वर्ष की थीं, तब उन्होंने पहली बार ट्रेन चलाई थी, अब वो 45 साल की हो गई हैं, लेकिन अब भी अपना काम पूरे दिल से करती हैं. वह कई तरह की रेलगाड़ियां चला लेती हैं और फिलहाल छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल-ठाणे पर मध्य रेलवे की उपनगरीय लोकल ट्रेन चलाती हैं. यह रेलवे मार्ग किसी महिला ड्राइवर द्वारा चलाया जानेवाला देश का पहला और सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाला मार्ग है.
लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए मुमताज को सबसे पहले अपने परिवार से लड़ना पड़ा. 1989 में रेलवे में नौकरी के लिए आवेदन दिया था, तब उनके पिता ही उनके खिलाफ खड़े थे, जो स्वयं रेलवे में एक वरिष्ठ अधिकारी हैं. उनके पिता का कहना था कि आजतक ये नौकरी केवल पुरुष ही करते आ रहे हैं, ऐसे में मुमताज इस क्षेत्र मे जाना सही नहीं होगा.
उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया. अब पूरा परिवार मुमताज पर गर्व करता है…Next
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