कहा जाता है जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है. शायद इसलिए इंसान ऐसे तरीके ईजाद करता है जिससे दुनिया को अलविदा कहने के बाद, उसके अपनों को किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े. इस सच को जानते हुए ही हम लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं. वहीं दूसरी तरफ आपने कई फिल्मों में देखा होगा जिसमें स्यूसाइड बॉम्बर अपने परिवारवालों के लिए मोटी रकम लेकर किसी जगह पर ब्लास्ट होते हैं.
कुल मिलाकर, बेशक आपकी जिंदगी का भरोसा ना हो, लेकिन आप अपने परिवारवालों के जीने के लिए खास इंतजाम करके जाना चाहते हैं, लेकिन चांद पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों (एस्ट्रोनॉट) को अपने परिवारवालों के लिए खुद ही जुगाड़ करना पड़ा था.
अब आप सोच रहे होंगे वो कैसे? तो चलिए, बताते हैं आपको.
ऐतिहासिक बनने से पहले दहशत से भरा था ‘अपोलो-11 मिशन’
‘अपोलो-11 का मिशन’ ऐतिहासिक बनने से पहले इसमें सवार होने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए दहशत से भरा हुआ था. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन यात्रियों के पास अपना जीवन बीमा करवाने के लिए पैसे नहीं थे. तब एस्ट्रोनॉट की सैलेरी इतनी भी नहीं होती थी जिससे वो अपना बीमा करवा सके. वहीं बात करें आज की तो, अंतरिक्ष मिशन पर किसी भी एस्ट्रोनॉट को भेजने से पहले पूरी टीम का बीमा करवाया जाता है, लेकिन उस वक्त स्थिति अलग थी और इससे पहले इंसान को स्पेस में नहीं भेजा गया था.
इस तरह से निकाला पैसे जुटाने का रास्ता
अपोलो-11 में सवार एस्ट्रोनॉट ये नहीं जानते थे कि वो वापस पृथ्वी पर लौट भी पाएंगे या नहीं, ऐसे में अगर अंतरिक्ष में ही उनकी मौत हो जाती है, तो उनके जाने के बाद उनके परिवार की देखरेख की जिम्मेदारी किसकी होगी, इसके लिए उन्होंने एक रास्ता निकाला. जब स्पेस में जाने के कुछ महीने ही बाकी रह गए, तो उन सभी ने मिलकर पोस्टकार्ड पर अपने ऑटोग्राफ दिए जिससे उनकी मौत होने के बाद उनके परिवारवाले उन ऑटोग्राफ पोस्टकार्ड को बेचकर पैसे जमा कर सकें.
जाने से पहले उन्होंने करीब 10,000 ऑटोग्राफ पोस्टकार्ड तैयार कर लिए. उन्होंने अपोलो-11 में जाने से पहले 10,000 ऑटोग्राफ पोस्टकार्ड टीम के एक सदस्य और दोस्त को थमा दिए और कहा किसी दुर्घटना होने पर ये ऑटोग्राफ पोस्टकार्ड उनके परिवार वालो को दे दिए जाए. जिसकी बोली लगाकर वो अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें. इन ऑटोग्राफ पोस्टकार्ड्स को ‘अपोलो इंश्योरेंस कवर’ के नाम से जाना जाता है.
ऐसे रच दिया इतिहास
20 जुलाई 1969 का दिन उस वक्त ऐतिहासिक बन गया, जब नील ने स्पेस में पहला कदम रखकर इतिहास रच दिया. उसके बाद अपोलो-11 के सभी एस्ट्रोनॉट सही-सलामत वापस लौट आए. कहा जाता है कि साल 2012 में मौत के बाद नील के नाम 2 करोड़ 2 लाख से ज्यादा के नाम बीमा पॉलिसी थी. वहीं इन ‘अपोलो इंश्योरेंस कवर’ की कीमत 2 लाख (70 के दशक के अनुसार) से ज्यादा की थी…Next
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