क्या आप ऐसे किसी रसोई घर के बारे में जानते हैं, जो 24 घंटे खुला रहता है, जहां हर रोज 1 लाख से ज्यादा लोग खाना खाते हैं बिना ये जाने की यहां आने वाला व्यक्ति किस धर्म, जाति,पंथ या लिंग का है. यहां सिर्फ एक मूलभूत दर्शन काम करता है और वो है इस रसोई घर में आने वाला हर इंसान बराबर है. चौकिये मत! ऐसा रसोई घर कहीं और नहीं बल्कि अपने देश में है. जहां हर रोज लाखों श्रद्धालु अपना माथा टेकते हैं. ये है पंजाब के अमृतसर का स्वर्ण मंदिर का रसोई घर.
अमृतसर में मौजूद स्वर्ण मंदिर सिक्खों का पवित्र धार्मिक स्थल है, लेकिन यहां पर किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति के आने की कोई बंदिश नहीं है और वो यहां पर होने वाली सभी गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैंं.
हर रोज यहां पर 100,000 लोग लंगर में खाना खाते हैं, जो 24 घंटे खुला रहता है. इस काम को दुनिया भर से आने वाले स्वयंंसेवक अपने श्रम से आसान बना देते हैं. इस रसोई घर में करीब सौ लोग खाना बनाने में मदद करते हैं. रसोई घर में महिला पुरूष मिलकर काम करते हैं. वो सच्चे मन और श्रद्धा से ये काम करते हैं.
स्वर्ण मंदिर में स्वयंसेवक के लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं है, फिर चाहे वो 8 साल का हो या 80 साल का. यहां कोई भी अपने मन से गुरु की शरण में आता है. खाना खाने के बाद झूठे बर्तनों को दो श्रेणियों में बांट दिया जाता है छोटा (चम्मच) और मध्यम (थाली और कटोरी). स्वयंंसेवक इनको इकठ्ठा करते हैं ताकि इन बर्तनों को धोने में आसानी हो. झूठे बर्तनों को साफ किया जाता है.
यहां के रसोई घर में हर रोज 7 हजार से 10 हजार किलो आटे की जरूरत पड़ती है. एक अनुमान के मुताबिक यहां पर हर रोज 2 लाख से लेकर 3 लाख के बीच रोटियां बनती हैं. इसके अलावा सैंकड़ों लोग रोज यहां पर रात बिताते हैं.
स्वर्ण मंदिर में हर रोज 3 लाख से ज्यादा बर्तनोंं को साफ किया जाता है. लंगर में हर रोज 5 हजार किलोग्राम लकड़ी, सौ से ज्यादा एलपीजी गैस सिलेडंर का इस्तेमाल होता है…Next
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