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‘नील आर्मस्ट्रांग’ से पहले ये पायलट पहुंच जाता अंतरिक्ष लेकिन…

आज से कई साल पहले ‘नील आर्मस्ट्रांग’ ने चाँद को छू लेने के सपने को तकनीकी विज्ञान के सहारे हकीकत में बदल दिया, जिसके बाद अनेक अंतरिक्ष यात्रियों ने सितारों भरी जमी पर पांव रखे और वापस लौटकर अपने अद्भुत अनुभवों को सबके साथ बाँटा. ‘लेकिन क्या आप जानते हैं? नील के चाँद पर पहुँचने से पहले ‘व्लादिमिर कोमरॉव’ नाम के अंतरिक्ष यात्री ने चाँद पर उतरने का सपना देखा था.


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‘व्लादिमिर’ सोवियत एयर फ़ोर्स के पहले पायलट थे, जिन्होंने कई बार अन्तरिक्ष में उड़ान भरी और चाँद को छूने की ख्वाहिश के साथ स्पेश मिशन के दौरान मारे जाने वाले व्यक्ति कहलाये. 1967 में जब ‘सोयूज़1’ नाम का अंतरिक्ष यान अचानक क्रैश हो गया और तुरंत पैराशूट न खुल पाने के कारण एक महान अंतरिक्ष यात्री देखते ही देखते राख के ढेर में बदल गया और पीछे रह गए उनके शरीर के कुछ अवशेष.



1967 में सोवियत संघ की स्थापना को 50 वर्ष पूरे हो रहे थे और सरकार ने इस अवसर को ख़ास बनाने की माँग की. जिसमें सोवियत के दो यानों को लॉन्च किया गया, पहला यान सोयुज़ 1 था जिसके भीतर व्लादिमिर खुद सवार थे. दूसरे दिन सोयुज़ 2 ने अंतरिक्ष की और उड़ान भरी जिसमें 2 अन्य अंतरिक्षयात्री सवार थे.



योजना के अनुसार दोनों यानों को स्पेस में एक निश्चित स्थान पर मिलना था, जहाँ व्लादिमिर को अपना यान छोड़कर दूसरे यान में बैठकर पृथ्वी पर वापस आना था. व्लादिमिर और एयर फ़ोर्स के कुशल इंजीनियर इस यान की कम क्षमता से भलीभांति परिचित थे, जिसको ध्यान में रखते हुए डेवलपमेंट टीम ने इस मिशन को कैंसिल करने के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया और साथ ही  इस यान में किसी व्यक्ति को सवार किये बिना इसको लॉन्च करने की सलाह दी.




जिसको आला अधिकारियों द्वारा अनदेखा कर दिया गया. आख़िरकार लॉन्च का दिन आ ही गया. यान में सवार होते समय व्लादिमिर ने अपने दोस्तों को अलविदा कहते हुए कहा कि मैं आज इस उड़ान से वापस ना आने के लिए जा रहा हूँ”.वह जानते थे अगर उन्होंने इस मिशन पर जाने से मना किया तो वह एयरफोर्स से हमेशा के लिए सस्पेंड कर दिए जाएंगे और भविष्य में कभी भी उनका चुनाव ऐसे ख़ास मिशन के लिए नहीं होगा .


Vladimir Koma1

दूसरे उनके स्थान पर उनके ख़ास दोस्त ‘यूरी गैग्रीन’ को इस मिशन पर भेज दिया जाएगा  और वह जान बूझकर अपने दोस्त को मौत के मुँह में धकेलना नहीं चाहते थे . इस तरह अपनी अंतिम उड़ान के साथ ‘व्लादिमिर कोमरॉव’ कोई पहचान बनाने से पहले आसमान के अँधेरे में कहीं खो गया…Next


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