सभ्यता के विकास के साथ मानव जाति ने अपनी रक्षा के लये पत्थरों से हथियार बनाने सीखे तो शरीर ढकने के लिए पत्तों से कपडे बनाये और रहने के लिए गुफाओं की जगह झोपड़ियों का प्रयोग करने लगा और धीरे-धीरे विकास के पथ पर चलते हुए आधुनिक युग में प्रवेश कर गया. लेकिन इंडोनेशियन की एक कबीला जाति एक दशक पहले तक आदि-मानव जैसा जीवन बसर कर रही थी.
ऐसा माना जाता है इंडोनेशिया के दक्षिण पूर्व ‘पपुआ’ नाम के क्षेत्र में रहने वाले ‘कोरोवाइ’ नाम की जनजाति के यह लोग पृथ्वी पर किसी और प्राणी के अस्तित्व से अनभिज्ञ थे और इन अज्ञात जंगलों के पेड़ों के सिरे पर तकरीबन 140 फीट की ऊँचाई पर घर बनाकर रहते हैं. इस कबीला जाति की खोज 1974 में डच मिशनरी द्वारा की गयी और धीरे-धीरे यह लोग अपने ख़ास प्रकार के घरों के लिए पहचाने जाने लगे.
’कोरोवाइ जाति’ के इन लोगों के घर जमीन की सतह से 6 से 12 मीटर की ऊँचाई पर बने होते हैं और कुछेक की ऊँचाई 35 मीटर तक होती है. घने जंगलों में जंगली जानवरों से बचाव के लिए उन्होंने ऐसा घरों को बनाना शुरू किया . सामान्य रूप से इन घरों को बनाने के लिए एक मजबूत बरगद के पेड़ को तलाश कर इसके ऊपर के सिरे को काट देते हैं, जो इस घर को टिकाने के लिए मुख्य पोल का काम करता हैं और घर की सतह को आस पास मौजूद अनेक पेड़ो के साथ बाँध दिया जाता है.
घर को बाहरी तरफ से साधने के लिए लकड़ी की मजबूत बल्ली लगायी जाती हैं. इन लोगों का मानना है कि “हम इन घरो में जंगली मच्छरों और कीड़ो मकोड़ों से सुरक्षित रहते हैं,और साथ ही जंगल में रहने वाली बुरी आत्माओं से बचे रहते हैं. 2006 में ‘पॉल रफ्फेल’ नाम के फोटोग्राफर ने इनके बीच रहकर इनके जीवन को करीब से अनुभव कर एक डॉक्यूमेंट्री बनायी जिससे इन रहस्यमयी लोगों की ज़िन्दगी से जुड़े अनेक आश्चर्यजनक सत्य सामने आये और परिणामस्वरुप कुछ विशेष संगठनो की मदद से इनको आस पास के गाँव में घर प्रदान किये गए…Next
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