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इस बच्चे के दांव के आगे बड़े-बड़े चैम्पियंस नहीं टिक पाते थे, डर के मारे छूटता था पसीना

शतरंज (चैस )एक दिमागी खेल है, जो दो खिलाडियों के बीच खेला जाता है. इसमें दोनों पक्ष अपनी सूझ-बूझ के साथ पेचीदा दाँव खेलते हुए अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हैं. इस खेल के नियम और कायदों की जटिलता को समझना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन अमेरिका के ‘सैमुअल रेशेवस्की’ ने मात्र 8 साल की उम्र में US चैस चैंपियनशिप जीतकर अलग ही कीर्तिमान स्थापित किया .


cover chess

सैमुअल का जन्म पोलैंड में 26 नवम्बर 1911 में हुआ था जिनको घर में सैमी के नाम से पुकारा जाता था . केवल 4 साल की उम्र में सैमी ने चैस खेलना शुरू कर दिया था और 7 साल की उम्र अनेक शानदार प्रदर्शन करते हुए चैस के मास्टर खिलाडियों को आसानी से मात देने लगे . नतीजन कुछ ही समय बाद 8 साल की उम्र में अमेरिका के चैंपियन बन गए.



1920 में उनके पिता जी उन्हें अमेरिका की एक राष्ट्रीय प्रदर्शनी में ले गए जहाँ सैमी की प्रतिभा दुनियाँ के सामने आयी. वहाँ मौजूद चैस के विद्वानों ने उनके साथ दाँव खेल उनकी प्रतिभा को आजमाया. चैस में बढ़ती रूचि के साथ सैमी ने रोज स्कूल जाना बंद कर दिया लेकिन अपनी सेकेंडरी एजुकेशन को पूरा करने के लिए इन्होंने 7 साल तक चैस का कोई टूर्नामेंट या चैंपियनशिप नहीं खेली और शिकांगो की यूनिवर्सिटी से अकाउंट में बैचलर की डिग्री प्राप्त की और एक अकाउंटेंट की नौकरी कर घर के खर्चे चलाने में अपने पिता जी का सहयोग करने  लगे.



1931 से सैमी ने फिर से चैस खेलना शुरू कर दिया और देखते ही देखते सैमी विश्वप्रसिद्ध खिलाड़ी बन गए. वह अपनी हर एक चाल को बड़ी एकाग्रता के साथ खेलते. 1961 में जब एक चैस मैच के दौरान फिशेल और सैमुअल आमने सामने बैठे थे तो फिशेल ने गर्मी की वजह से पंखा चलाने को कहा, वहीँ सैमी ने कहा की इससे उनको ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होगी और दोनों खिलाडियों की माँग को प्राथमिकता देते हुए गेम कमेटी के सदस्यों ने फिशेल की बारी पर पंखा चलवाया तो सैमी की बारी पर इसको बंद करा दिया गया.


chess master


उनकी प्रतिभा की वजह से उनके प्रतिद्वंदी खिलाड़ी भी हमेशा उनका सम्मान करते थे. चैस मास्टर होने के बावजूद भी सैमुअल ने कभी चैस को अपना फुल टाइम प्रोफेशन नहीं बनाया और अपने चैस के ज्ञान को किताबों के जरिया दुनियाँ तक पहुँचाया…Next


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