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4 अरब के हीरों को पेपरवेट की तरह करते थे इस्तेमाल ये नवाब, ऐसी आलीशान लाइफस्टाइल नहीं सुनी होगी आपने

वाब वाजिद अली शाह
भारतीय नृत्य कथक को प्रसिद्ध बनाने में नवाब वाजिद अली का बहुत बड़ा योगदान है . नृत्य और काव्य के लिए  इनके प्यार और जूनून ने लखनऊ को एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित  किया . जिसके प्रभाव से लखनऊ दुनियाँ भर के लोगों के लिए एक पर्यटक स्थल बन गया…Next
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हमारा इतिहास अनेक राजाओं की शौर्य की गाथाओं , वीर शहीदों की कहानियों और नवाबों के रिहायशी शौकों का प्रमाण प्रस्तुत करता करता है . हमने अपने स्कूल की किताबों में उनके जीवन से जुडी अधिकतर  महत्वपूर्ण घटनाओं  के बारे में पढ़ा . लेकिन हम आज आपके समक्ष भारत के नवाबों के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे आश्चर्यजनक तथ्य प्रस्तुत करेंगे, जिनके बारे में न आपने कभी पढ़ा होगा न सुना होगा.

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निज़ाम मीर ओस्मान अली खान

हैदराबाद के निज़ाम मीर साहब फोर्ब्स ऑफ़ ऑल-टाइम वेलथीएस्ट 2008 के अनुसार आज तक के पाँचवे सबसे बड़े रहीश माने जाते हैं वहीँ बिल गेट्स को 20वें नंबर पर रखा गया है .1930 से 1940 तक 136 अरब की सम्पति के साथ निज़ाम साहब उस समय के दुनियाँ के सबसे बड़े रहीश थे जो  4 अरब की कीमत के 185 कैरेट के हीरे को एक पेपर वेट के रूप में प्रयॊग करते थे .



नवाब मुहम्मद महाबत खानजी III रसूल खानजी

यह जूनागढ़ के अंतिम नवाब माने जाते हैं, जो जानवरों के प्रति ख़ास लगाव के लिए विश्व-प्रसिद्ध  थे . उन्होंने अपने जीवन में 300 कुत्तों को पाला और उनमे से कुछ प्रिय कुत्तों के लिए जन्मदिन और शादी के विशाल समारोह का आयोजन भी किया . दूसरी तरफ जंगली जानवरो के प्रति स्नेह दर्शाते हुए उनके अस्तित्व को बनाये रखने में अहम भूमिका निभाई  .


नवाब मीर उस्मान अली खान

विश्व के तमाम नबावों की अपेक्षा सबसे अधिक कर्मचारियों इनके साथ कार्यरत थे . 1967 मे इनकी मृत्यु के समय 14,718 कर्मचारी इनके यहाँ काम करते थे. जिनमे से 3000 केवल महल की सुरक्षा के लिए रखे गए थे, 28 को सिर्फ पानी पिलाने का काम दिया हुआ था और अनेक कर्मचारी सिर्फ पान बनाने के लिए सुपारी तोड़ने का काम करते थे.


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नवाब मुहम्मद याहिया मिर्ज़ा असफ-उद दौला

1738 में ब्रिटिश शासन के तहत याहिया मिर्ज़ा को अवध का नवाब घोषित किया गया. एक बार इनके राज्य में जब अकाल की स्तिथि पैदा हुई तो लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से इन्होंने पर्यटक स्थल ‘बड़ा इमामबाड़ा’ का निर्माण शुरू करा दिया ताकि लोग भूखे न मरे . इन्होंने 20,000 लोगों को इसके काम में लगाया और उनको विश्वास दिलाया कि जब तक अकाल की स्तिथि खत्म नहीं होगी इसका निर्माण कार्य चलता रहेगा.

Asaf-ud-Daulah


नवाब वाजिद अली शाह

भारतीय नृत्य कथक को प्रसिद्ध बनाने में नवाब वाजिद अली का बहुत बड़ा योगदान है . नृत्य और काव्य के लिए  इनके प्यार और जूनून ने लखनऊ को एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित  किया . जिसके प्रभाव से लखनऊ दुनियाँ भर के लोगों के लिए एक पर्यटक स्थल बन गया…Next


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