बुंदेलखंड में वैसे तो कई लोक देवियां और देवता हैं लेकिन उनमें से एक हैं लाला हरदौल. हरदौल की शौर्य गाथा को बयां करते कई नाट्य मंडल गांवों में अपनी प्रस्तुतियां देते हैं. लोक देवता के रूप में लाला हरदौल इतने पूज्य हैं कि बुंदेलखंड में किसी लड़की का विवाह हो तो पहला न्यौता लाला हरदौल को ही जाता है. आपको जानकर हैरानी कि लाला हरदौल एक वीर योद्धा थे जिनकी कहानियां बेहद मशहूर थी.
कौन थे लाला हरदौल
मध्य प्रदेश के टीकमगढ जिले का ओरछा कस्बा बुंदेलखंड़ में धार्मिक प्रदेश के तौर पर जाना जाता है. यहां के महाराजा वीर सिंह के सबसे छोटे बेटे ‘हरदौल’ की वीरता और ब्रह्मचर्य के किस्से हर बुंदेली की जुबां पर हैं. महाराजा वीर सिंह के आठ पुत्र थे, जिनमें सबसे बड़े का नाम जुझार सिंह व सबसे छोटे हरदौल थे.
भाई बना जान का दुश्मन
जब अपना ही जान का दुश्मन बन बैठे तो भगवान भी कुछ नहीं कर सकता. ऐसा ही कुछ हुआ था हरदौल के साथ. जुझार सिंह अपने भाई हरदौल से इस बात से नाराज रहते थे क्योंकि उनकी पत्नी हरदौल का खास ख्याल रखती थी और यही बात जुझार को पंसद नहीं पाई और उसने अपने ही भाई के लिए मौत का जाल बिछा दिया.
कैसे हुई थी हरदौल की मौत
जुझार सिंह अपनी पत्नी और हरदौल के रिश्ते से नाखुश था जिस वजह से उसने एक दिन अपनी पत्नी को आदेश दिया कि वो भोजन में विष मिला कर लाला हरदौल को खिला दें. यह सुनकर रानी हैरान हो गईं. लेकिन उन्हें खुद को पतिव्रता साबित करना थे ऐसे में उन्होंंने वैसा ही किया, जिस वजह से हरदौल की मृत्यु महज 23 साल में ही गई.
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भाई के श्मशान गई बहन
जुझार की बहन कुंजावती, जो दतिया के राजा रणजीत सिंह को ब्याही थी, अपनी बेटी के ब्याह में भाई जुझार से जब भात मांगने गई तो उसने यह कहकर दुत्कार दिया क्योंकि वह हरदौल से ज्यादा स्नेह करती थी. श्मशान में जाकर उसी से भात मांगे. कुंजाबाई रोती हुई श्मशान जाकर भाई हरदौल को याद करने रोनी लगी. कहा जाता है कि श्मशान से आवाज आई थी कि, ‘हरदौल भात लेकर जरूर आएगा’.
भांजी की शादी में आए मृत राजा हरदौल
बहन की पुकार पर खुद राजा हरदौल भात लेकर आए थे. कुंजाबाई के दामाद के बहुत जोर देने पर उन्होंने खुद को लोगों के सामने प्रकट किया था. इसी चमत्कार के बाद से यहां पर भव्य मन्दिर का निर्माण कराया गया और लोग राजा हरदौल को ‘देव’ रूप में पूजने लगे.
‘हरदौल चबूतरे’ का हुआ निर्माण
बहन की शादी में इस तरह आने के बाद से ही वहां के लोगों ने ‘हरदौल चबूतरे’ का निर्माण कराया. ‘शादी-विवाह हो या यज्ञ-अनुष्ठानों का भंड़ारा, लोग सबसे पहले चबूतरों में जाकर राजा हरदौल को आमंत्रित करते हैं, उन्हें निमंत्रण देने से भंड़ारे में कोई कमी नहीं आती’…Next
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