आत्मविश्वास के साथ लक्ष्य प्राप्ति की डगर पर बढ़ते कदम निश्चित ही सफलता पा लेते हैं. उनकी राह में आने वाली बाधाओं का निवारण उनकी दृढ- इच्छाशक्ति से होता है, फिर चाहे जो भी हो, वो अंधेरों में भी उजाले की किरण को तलाश कर अपनी ज़िन्दगी को रोशन कर लेते हैं. कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिलता है अफ्रीका के पश्चिमी किनारे पर बसे ‘गुइना’ के ‘कोनाक्री’ शहर एयरपोर्ट पार्किंग में, जहाँ पर रात के अँधेरे में बैठकर छात्रों का समूह अपने भविष्य को चमकाने की कोशिश में जुटा रहता है.
जी हाँ, यहाँ के रहने वाले बहुत से लोगों के क्षेत्र में उचित बिजली की व्यवस्था नहीं है और कही बिजली है भी तो सप्लाई की कमी है, जिसके कारण यहाँ रहने वाले छात्रों को अपनी परीक्षाओं के समय में अच्छी खासी दिक़्क़तें उठानी पड़ती है. रात होने के साथ वो चाहत के बाद भी भी पढ़ नहीं पाते, और इसी समय वो कोनाक्री एयरपोर्ट के रास्तों पर चल पड़ते हैं.
इस एयरपोर्ट की पार्किंग में जहाँ सड़क के किनारे लगी लाइटे वहाँ आने वाली अंतिम फ्लाइट के कारण देर रात तक जलती रहती हैं. यह लाइटे एयरपोर्ट में काम करने वाले और आने जाने वाले यात्रियों के लिए कोई खास महत्व नहीं रखती, लेकिन यहाँ बैठकर पढ़ने वाले छात्रों के लिए उनका भविष्य सवाँरने का एकमात्र विकल्प है.
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यह छात्र इस पार्किंग तक जाने के लिए रोज कई किलोमीटर का सफर तय करते हैं. पिछले दिनों यूनाइटेड नेशन ने अपनी एक रिपोर्ट में उन देशों के नाम प्रकाशित किये जो आज भी अविकसित अथवा अल्पविकसित और बिजली जैसे प्राथमिक समस्या को झेल रहे हैं और साथ ही सुझाव दिए कि उनको तरक्की करने के लिए किन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
वास्तव में गुइना को पूरी तरह से विकसित होने के लिए बाकी सारे देशों की तरह अपने देश में तकनीकी विकास पर जोर देना चाहिए ताकि छात्रों के रूप में उनके देश का भविष्य केवल रोशनी की तलाश में इधर उधर न भटके…Next
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