खेल प्रारम्भ से ही मनोरंजन का मुख्य साधन माने जाते रहे हैं, देश हो या विदेश वहाँ के लोगों ने अपनी रूचि अनुसार मनोरंजन के उद्देश्य से तरह-तरह के क्रियाकलापों की रुपरेखा बनायीं और बाद में यही क्रियाकलाप स्थान विशेष के भिन्न-भिन्न राष्ट्रीय, प्रांतीय और क्षेत्रीय खेल बन गए. जिनमें से कुछ खेल आज भी पूरे विश्व में उत्साह के साथ खेले जाते हैं, वहीँ दूसरी तरफ पुराने ज़माने के कुछ जोश वर्धक खेल आज अपनी पहचान की तलाश में हैं.
बाइक-गाडी अथवा मोटरसाइकिल – गाडी रेस जो बिलकुल घोडा-गाडी दौड़ के सामान होती थी, 1920 से 1930 के दौरान रोम का सुप्रसिद्ध खेल हुआ करता था. जिसमें रोम के अलावा आस-पास के देश भी भाग लिया करते थे. एक सुप्रसिद्ध मैगज़ीन के अनुसार यह रथ जैसी गाड़ियाँ शराब के बैरल्स ( शराब को रखने का लकड़ी का बना एक पात्र ) से बनायीं जाती थी, जिसके दोनों किनारों पर पहिये लगाये जाते थे तथा बीच के हिस्से को मोटरसाइकिल से जोड़ा जाता था.
गाडी में सवार खिलाड़ी रोम के योद्धाओं जैसे कपडे पहनते थे और बाइक के दोनों हैंडिल पर बँधी रस्सियों के छोरों को पकड़ मोटरसाइकिल का संतुलन बनाते हुए गाडी का संचालन करते थे. कई बार सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बाइक पर भी एक व्यक्ति सवार होता था, जो केवल अचानक उत्पन्न हुई दुर्घटना की स्तिथि में बाइक के संतुलन को संभालने का कार्य करता था.
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गाड़ी में सवार खिलाड़ी मुख्य भूमिका निभाता था और अपनी पसंद से इसको बनाने के लिए दो, तीन या चार बाइक का प्रयोग करते थे. ‘लिव वालेस’ के लिखे गए उपन्यास के चरित्र के आधार पर 1959 में एक फिल्म बनायीं गयी जिसमें इस तरह की विशेष बाइक-गाडी का प्रयोग किया गया है.
वास्तव में अपनी ही तरह का यह अद्भुत खेल समय के साथ कहीं खो गया हैं, लेकिन रोम के कुछ चुनिंदा व्यक्ति आज भी इस खेल में रूचि दिखाते हुए इसको पुनर्जीवित करने के लिए प्रयासरत हैं, जिसके चलते वो समय-समय पर इस तरह की विशेष गाड़ियों वाले कार्यकम और प्रतियोगिताओं का आयोजन करते रहते हैं…Next
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