झटपट बनकर तैयार होने वाला खाना आजकल की पीढ़ी को खूब भाता है. युवा पीढ़ी के मन भावन मोमोज़, बर्गर और हॉट-डॉग जैसे आइटम्स को बेचने के लिए किसी विशेष रेस्टॉरेंट या होटल की जरूरत नहीं होती बल्कि इस प्रकार का खाना रोड के किनारे खड़े होकर रेहड़ी पर भी बड़ी आसानी से मिल जाते हैं. कॉलेज कैंटीन से लेकर मूवी पैलेस और पार्क तक लेकर सब जगह फास्ट फूड बड़े पैमाने पर बिकता है. आप बखूबी वाकिफ होंगे कि इन रेहड़ी वालों को अपनी स्टॉल लगाने के लिए किराया भी देना पड़ता है.
सड़क के किनारे खड़े रेहड़ी वाला जहांं किराये बतौर हजार रूपये चुकाते हैं, वहीँ एक मॉल में उसको लाखों रूपये तक देने पड़ते हैं लेकिन न्यूयॉर्क में एक हॉट-डॉग बेचने वाले को ‘सेंट्रल पार्क चिडियाघर’ के बाहर अपनी रेहड़ी खड़ी करने के लिए लगभग 19 करोड़ रूपये सालाना किराए बतौर सिटी पार्क डिपार्टमेंट को जमा करने पड़ते हैं. चौंक गए न आप ! लेकिन यही वास्तविकता है कि ‘मोहम्मद मुस्तफा’ नाम का यह व्यक्ति और इसके जैसे अनेक रेहड़ी वाले अपने ठेले पर स्नैक्स, कोल्ड-ड्रिंक और हॉट-डॉग जैसे फास्ट फूड बेचने के लिए करोड़ों रूपये किराए में देते है.
इन रेहड़ी वालों के अनुसार पार्क के एंट्री गेट पर खड़े होने के लिए सबसे अधिक किराया देना पड़ता है. अपने छोटे आइटम्स को बेचने के बाद इन रेहड़ी वालों को कितना फायदा होता है? इस तथ्य की पुष्टि लिए कहीं भी ठोस आंंकड़े मौजूद नहीं है.
पार्क डिपार्टमेंट रियायत विभाग, जो हर पांंच साल में किराये की बोली लगाता हैं तकरीबन 30 करोड़ रूपये सालाना शहर के जनरल फंड के लिए प्रदान करता है. यहांं रेहड़ी लगाने वाले विक्रेता कई बार ठेले के असली मालिक नहीं होते बल्कि वह इस ठेले को चलाने की नौकरी कर रहे होते हैं जिसके लिए इनको 50,000 रूपये से 70,000 रूपये तक का साप्ताहिक वेतन मिलता है. पार्क जैसे स्थानों पर रेहड़ी लगाने वाले कहते हैं कि यहांं आने वाला हर एक व्यक्ति हमको अपने परिवार जैसा लगता है जिसके कारण हम कम लाभ पर भी यही खड़े होकर सामान बेचते हैं…Next
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