चीन हर साल ओलंपिक में मैडल जितने वाली तालिका में हमेशा आगे रहता है. सोचा है ऐसा क्यों होता है? इसलिए नहीं कि वहां के लोगों को खेल से प्यार है बल्कि चीन सरकार का दबाव इतना ज्यादा होता है कि बचपन से ही लोग इसकी तैयारी में जुट जाते हैं.
6 साल के बच्चे करते हैं कड़ी मेहनत
जरा सोचिए 6 साल के बच्चे में कितनी ताकत होगी, लेकिन चीन के स्कूलो में इन मासूमों से कड़ी मेहनत करवाई जाती है. वो घंटो प्रेक्टिस करते हैं और इस दौरान ना वह रो सकते हैं और ना ही आराम कर सकते हैं. आप तस्वीरों में उनकी लाचारी देख सकते हैं.
स्कूल तैयार करता है बच्चों को
आलंपिक में अपने देश को आगे ले जाने के लिए चीन बचपन से ही अपने बच्चों कौ तैयार करने लगता है और इसकी शुरुआत स्कूलों से ही हो जाती है. चीन के शिचाहै स्कूल में बच्चों से जिमनास्टिक्स, पुल्ल-अप्स और भी कई सारे स्पोर्टस की तैयारियां कराई जाती हैं.
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स्कूल के बाद 4 घंटे मेहनत करते हैं छात्र
शिचाहै स्कूल में क्लास खत्म करने के बाद बच्चे करीब 4 घंटे तक कड़ी मेहनत करते हैं. इस दौरना उन्हें सबसे ज्याद ट्रैनिंग जिमनास्टिक्स, टायक्वोंडो, वॉलीबॉल, बैडमिंटन और टेबल टेनिस में दी जाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस स्कूल में एक दिन की भी छुट्टी नहीं मिलती है.
बच्चों के साथ किया जाता है शोषण
इस स्कूल में जब ब्रिटेन के चार बार ओलिंपिक विजेता सर मैथ्यू पिंसेंट गए तो उन्होंने कहा कि ‘वह हैरान थे कि कैसे मासूम बच्चों पर वहां के कोच कठोर हो रहे थे. महज 7 साल की लड़की दर्द से चीख रही थी वहीं एक लड़के का आधा शरीर काला पड़ गया था.’
वैसे जिस तरह की तस्वीरें स्कूल की दिखाई गई हैं उसे देखकर तो यही लगता है कि वाकई वहां के बच्चे इस तरह की कठोर ट्रैनिंग से परेशान होंगे…Next
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