हिन्दू धर्म के अनुसार 84 लाख योनियाँ भोगने बाद मनुष्य जन्म की प्राप्ति होती है. किद्वंती है कि, दुनियाँ में केवल मानव योनी के माध्यम से ही ईश्वर भक्ति संभव है, परन्तु हम आज आपको एक ऐसे विलक्षण प्राणी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसने इस तथ्य को झुठला दिया कि केवल मनुष्य ही वह प्राणी है जिसको ईश्वर भक्ति की समझ है. बैंगलुरू के एक कस्बे पुत्तेनहल्ली में स्थित माता लक्ष्मी के मंदिर के समीप एक कुत्ता पिछले कुछ हफ़्तों से भक्ति और आस्था का उदाहरण बना हुआ है.
सुबह 4 बजे से मंदिर की परिक्रमा करने लगता है
यह कुत्ता मंदिर के सामने एक बेकरी के पास रहता है, जो प्रतिदिन सुबह 4 बजे मंदिर की परिक्रमा लगाना शुरू करता है और सुबह के 10 बजे तक यह सिलसिला लगातार चलता है. शुरुआत में लोगों को लगा कि यह साधारण कुत्ता है जो मंदिर में आने वाले भक्तों के पीछे कुछ खाने की चाहत में चक्कर लगाता रहता है. जब दिन-प्रतिदिन यह सिलसिला चलता रहा तब स्थानीय लोगों का ध्यान इस तरफ गया तो पाया कि यह प्राणी नियम पूर्वक बिन थमे तकरीबन 6 घंटे तक लगातार मंदिर के चक्कर लगाता है जो साधारण नहीं है.
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हटाने की कई कोशिशेंं बेकार
कुछ लोगों ने उसको वहाँ से हटाने के लिए पत्थर और डंडों मारे जिसके कारण वह कुछ समय के लिए वहाँ से दूर चला जाता, और अनुकूल परिस्तिथियाँ मिलते ही वह फिर से चक्कर लगाने लगता है. मंदिर के पुजारियों के अनुसार- “वह सुबह मंदिर खुलने के साथ ही वहाँ आ जाता है और परिक्रमा शुरू कर देता है, एक चक्कर पूरा होने पर वह दक्षिणी- पूर्वी छोर पर अपने सिर को नीचे टेकता है और फिर यह क्रम 5-6 घंटे तक चलता है”, अधिक भीड़ होने पर वह समय में बदलाव कर शाम के समय अपने नियम को पूरा करता है.
श्रद्धालुओं के लिए बना आकर्षण का केंद्र
पुत्तेनहल्ली के निवासियों के लिए यह कुत्ता आकर्षण का केंद्र बन गया है, मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालु अवश्य ही इसका भी दीदार करते हैं. आस्था और भक्ति के प्रतीक इस प्राणी ने सिद्ध कर दिया है कि ईश्वर की रहमत जब बरसती है, तो संसार में मौजूद किसी भी प्राणी में श्रद्धा भाव स्वतः ही उत्पन्न हो जाते हैं… Next
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