कहते हैं महत्वाकांक्षी और परिश्रमी लोगों के लिए दुनिया में कुछ भी असम्भव नहीं होता. अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो किसी भी बाधा पर विजय हासिलकर इंसान अपनी मंजिल पा ही लेता है. ऐसा ही जीता जागता उदहारण है, वर्जिनिया में रहने वाली सात वर्ष की अन्या एल्लिक. आइए जानते हैं उसकी प्रेरणादायक कहानी के बारे में.
अन्या एल्लिक फर्स्ट क्लास की स्टूडेंट् हैं, जन्म से ही उसके हाथ नहीं है और अपनी बाजुओं के आगे के छोर से पेंसिल पकड़कर लिखती है. एक छोटी सी बच्ची ने अपनी मेहनत के दम पर एक राष्ट्रीय राइटिंग कॉम्पिटशन विन किया है. यह किसी सामान्य और सर्व-समर्थ व्यक्ति के लिए भी मुश्किल है. अन्या ने अपनी विकलांगता को हमेशा अपने लक्ष्य से अलग रखते हुए अपनी सुंदर और सधी हुई राइटिंग के दम पर 50 प्रतियोगियों को पीछे छोड़ते हुए विनर का ख़िताब हासिल किया है.
जब उसने कॉम्पिटशन में पार्ट लेने की इच्छा जताई तो उसके स्कूल की प्रिंसिपल ने कहा, ‘यह तो बहुत छोटी है, मन ही मन मैं उसकी असमर्थतता को देखकर संदेह में थी कि यह कैसे कर पाएगी. लेकिन उसने सिद्ध कर दिया वह एक आत्मनिर्भर और जिंदादिल लड़की है, जो कभी भी अपनी अपंगता का बहाना नहीं बनाती.’
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प्रिंसिपल कॉक्स बताती हैं कि वह अपनी क्लास के सबसे अच्छी राइटिंग करने वाले स्टूडेंट्स में से एक है. हमने उसके राइटिंग के सैंपल्स को उस केटेगरी में सबमिट किया जो संज्ञानात्मक, बौद्धिक और शारीरिक रूप से अयोग्य छात्र- छात्राओं को प्रोत्साहित करते. प्रोफेशनल थरपिस्ट इसका आंकलन करते हैं और विजेता को श्रेष्ठता के लिए निकोलस मैक्सिम स्पेशल अवॉर्ड से सम्मानित किया जाता है, साथ ही लगभग 67 हज़ार रुपये की धनराशि भी प्रदान की जाती है. कॉम्पिटशन डायरेक्टर बताते हैं कि, “हम लगातार उसको आश्चर्य से देख रहे थे और उसके राइटिंग सैंपल्स किसी भी हाथ से लिखने वाले व्यक्ति के साथ कम्पेयर किये जा सकते हैं.
अन्या के माता-पिता बताते हैं कि “जब हम “ग्रीनब्रिएर क्रिस्चियन एकडेमी” में उसका एडमिशन कराने गए तब स्कूल के सुप्रिडेंट “रोन वाइट” अन्या के लिए थोड़े परेशान से दिखे और कहने लगे इसको सामान्य बच्चों के साथ ताल मेल बिठाने में दिक़्क़त होगी और यह आत्मनिर्भर होकर क्लास वर्क करने में भी सक्षम नहीं होगी. “अन्या” के पैरेंट्स ने उनको भरोसा दिलाया कि उसको किसी स्पेशल सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है और वह किसी भी फर्स्ट क्लास के सामान्य बच्चे की तरह वर्क कर सकती है और नन्ही अन्या ने इस कथन को सिद्ध कर दिखाया. संक्षेप में इंसान के इरादे बुलंद हो तो कोई भी मुश्किल उसको लक्ष्य हासिल करने से नहीं रोक सकती…Next
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