बुधिया सिंह, अगर आप यह नाम भूल चुके हैं तो हम आपको याद दिला दें कि यह वही बच्चा है जिसने वर्ष 2006 में पुरी से भुवनेश्वर तक 65 किलोमीटर रिकॉर्ड ब्रेकिंग दौड़ लगाई थी. उस समय बुधिया सिंह की उम्र महज चार वर्ष थी. इस कारनामे के लिए उन्हें लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया था. बुधिया रातों -रात स्टार बन चुका था. लोगों ने तो उसे अगला मिल्खा सिंह तक कह दिया था, लेकिन ना जानें वह नन्हा सितारा कब खो गया. आइए नजर डालते हैं बुधिया सिंह की रातों-रात वर्ल्ड स्टार बनने की कहानी पर…
1– महज आठ सौ रुपये में बेच दिया था मां ने
बिरंची दास बुधिया के कोच थे. आखिरकार सरकार ने बुधिया का सरंक्षण अपने हाथों में लेते हए उसे सरकारी स्पोर्ट्स हॉस्टल भेज दिया. जिसका असर ये हुए कि, वह 150 बच्चों में खोकर रह गया.
2– तपती धूप में तय किया 65 किलोमीटर लम्बा सफर
महज चार वर्ष का बुधिया हर अखबार और टेलीविजन चैनल की सुर्खियों में छा गया.
3– 65 किलोमीटर का सफर महज सात घंटे और दो मिनट में तय की
साढ़े चार साल के मैराथन धावक बुधिया सिंह ने 65 किलोमीटर की दूरी सात घंटे और दो मिनट में तय करके नया रिकॉर्ड बनाया था. नन्हे उस्ताद का यह कारनामा लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हुआ है.
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4– 5 साल की उम्र में पूरा किया 48 मैराथन का सफर
बुधिया ने महज 5 साल की उम्र में 48 मैराथन पूरे कर लिए थे जो अपने आप में एक सपने जैसा है, लेकिन उसके बाद जाने क्यों उसकी रफ्तार पर ब्रेक लग गया.
5- अपनी दौड़ से सबका ध्यान खींचने वाले बुधिया को सरकार ने 2006 में राजीव गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया था, लेकिन जब से वह अपने कोच से दूर हुआ है तब से उसका सफर मानों थम सा गया है… Next
बुधिया के जीवन पर बनी फिल्म “बुधिया सिंह – Born to Run”. आप भी देखें इस फिल्म का ट्रेलर..
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