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तो ऐसे आई भारत में पहली बार एड्स बीमारी, इस महिला ने लगाया पता

पर जो रिर्सच किया था वो विज्ञान की दुनिया के लिए एक वरदान था.


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सुनीति को इस खोज के बाद भारी विरोध का सामना करना पड़ा.


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1993 में उन्होंने चेन्नई में ‘वाई आर गायतोंडे केयर फाउंडेशन’ की स्थापना की और अपने रिर्सच को जारी रखा. यह उनकी खोज और मेहनत का ही नतीजा है कि आज भारत एचआईवी से लड़ने में कुछ हद तक कामयाब हो पाया है.


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सुनीति की बहुत सहायता की है. अपने इंटरव्यू में नूरी ने कहा, ‘1987 में जब मैं डॉ. सुनीति मिली तो मैंने उनकी सहायता का फैसला लिया और हमने मिलकर इसपर जागरुकता फैलाई ताकि लोग इसपर ज्यादा से ज्यादा बात करें.’


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नूरी का मानना है कि, सुनीति का काम वाकई काबिले तारीफ है. नूरी ने कहा, ‘उन्होंने जो किया वो हम सब के लिए वरदान है और इसके लिए हमें उनको धन्यवाद देना चाहिए’… Next


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