Menu
blogid : 7629 postid : 1184272

क्या सबके लिए आयोडीन नमक जरूरी है?

इस देश में नमक को विश्वसनीयता का प्रमाण माना जाता है. ‘नमक हलाल’ और ‘नमक हराम’ जैसे शब्द सिर्फ किसी हिंदी फिल्म के नाम भर नहीं हैं. ये शब्द दर्शाते हैं की भारतीय जनमानस में नमक की क्या अहमियत है. पर आज इस नमक की विश्वसनीयता ही खतरे में दिखाई देती है.


क्या सबके लिए आयोडीन नमक जरूरी है?

सरकार, यूनिसेफ  डब्लूएचओ और इनसे सहायता प्राप्त विभिन्न गैर सरकारी संस्थाएं सालभर आयोडीन नमक के गुणगान में बड़े-बड़े आयोजन करती रहती हैं. पर क्या सचमुच आयोडीन युक्त नमक इतना महत्वपूर्ण है कि  इसे आरोग्यता की एक जरूरी शर्त मान लिया जाए. विभिन्न शोध बताते हैं कि आयोडीन की कमी से उत्पन्न होने वाली स्वाथ्य सम्बन्धी समस्याएं मुख्यतः हिमालयी क्षेत्र और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों तक ही सीमित है. पर सरकार द्वारा आयोडीन को देश भर में रोग मुक्त शारीर के लिए संजीवनी के रूप में  प्रचारित प्रसारित किया जाता है. यहाँ तक की समुद्र तट के नजदीक रहने वाले लोग जिनके भोजन में प्राकृतिक रूप से आयोडीन की प्रचुर मात्रा उपलब्ध रहती है उनके लिए भी गैर आयोडीन युक्त नमक प्राप्त करना दूभर हो गया है.


salt01


सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?

जुलाई 2011  में सर्वोच्च न्यायालय  ने सरकार द्वारा गैर आयोडीन युक्त नमक पर लगाये गए प्रतिबंध को असंवैधानिक करार दिया था. 12 मई 2006 को सरकार ने 1954 के खाद्य पदार्थो में मिलावट की रोकथाम सम्बन्धी कानून में 44-आई की एक नयी धरा जोड़कर बिना आयोडीन वाले नमक की बिक्री प्रतिबंधित कर दिया था.  सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार से कहा था की वह अगर आयोडीन युक्त नमक को अनिवार्य करना चाहती है तो वह जनस्वास्थ्य पर उसके व्यापक लाभ को सिद्ध करने के लिए विस्तृत शोध प्रस्तुत करे, पर सरकार ऐसा करने में असमर्थ रही.


2 रुपए किलो वाला नमक अब 18 रुपए किलो

स्वाथ्य विशेषज्ञों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि आयोडीन युक्त नमक पर इतना महत्व बाजारवादी शक्तियों के दबाव के कारण दिया जा रहा है. जो नमक कुछ वर्षो पहले तक एक या दो रुपये किलो था अब आयोडीन युक्त होने का लेबल लगाकर 12-18 रूपये प्रति किलो हो चला है. आयोडीन युक्त के साथ-साथ अब आयरन युक्त और लो सोडियम वाला नमक भी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने बाजार में उतारा है जिनकी कीमत और अधिक है.


यूं रची गई है साजिश

5 अप्रैल 1930  को गाँधी ने दांडी में मुट्ठी भर नमक उठा कर नमक को स्वतंत्रता संग्राम में स्वतंत्रता का प्रतीक बना दिया था. पर उस नमक को आज फिर कुछ बड़ी शक्तियों ने कैद कर लिया है. यूनिसेफ और डब्लूएचओ द्वारा वित्तीय समर्थन प्राप्त आयोडीन युक्त नमक के पक्ष में होने वाले प्रचारों में आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों की वीभत्स तस्वीरें दिखाई जाती हैं. ऐसी तस्वीरें जनमानस में इतना खौफ उत्पन्न कर देती है कि वह नमक खरीदते वक्त उसी ब्रांड पर भरोसा कर पता है जिनका खूब प्रचार हुआ करता है. ऐसे में छोटे नमक उत्पादक का आयोडीन युक्त नमक भी बाजार में टिक नहीं पाता. लोग कम पैसे में उपलब्ध होने के बावजूद भी अनजान ब्रांड का नमक खरीद अपने सेहत को खतरे में नहीं डालना चाहते.


ऐसा भी नहीं है कि आयोडीन नमक ने जनमानस के स्वास्थ्य में चमत्कारिक परिवर्तन लाया है. रक्षा मंत्रयालय से जुड़े एक संस्थान के अध्ययन के मुताबिक़ आयोडीन को 20 वर्ष पहले जिन बीमारियों का रामबाण बताया जाता था वह आज भी मौजूद हैं. इस शोध के मुताबिक स्कूल जाने वाले साढ़े पंद्रह प्रतिशत शहरी बच्चो में घेंघा की समस्या है. अनेक राज्यों के कुल सोलह शहरों में 39 हजार बच्चो पर यह अध्ययन कराया गया था.


बीमार कर रहा है आयोडीन नमक

ऊपर से आयोडीन के अधिक प्रयोग के कारण हाइपरथाइरॅाडिज़्म जैसी बीमारियाँ होने के सबूत मिले हैं. जहां तक बात थाइरॅाइड ग्रंथि संबंधी बीमारियों कि है तो डाइबिटीज की भांति इन बीमारियों का भी कोई स्थायी इलाज नहीं है. इन बीमारियों के रोगी भी जीवनभर के लिए दवाई की गोलियों पर निर्भर रहने को मजबूर हो जाते हैं

आयोडीन का व्यापक प्रयोग ऐसी दवा कंपनियों के हित में हैं. बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में सिगरेट को भी स्वास्थ्य के लिए हितकारी और फैशन सिम्बल के रूप मे प्रचारित किया गया था. ऐसे प्रचारों ने सिगरेट बनाने वाली कंपनियों को बाज़ार में पैर जमाने में बहुत मदद की थी. बाद में सिगरेट से होने वाली विभिन्न बीमारियों ने दवा निर्माता कंपनियों को भी फायदा पहुंचाया.


नमक का मुद्दा अमीर गरीब  हर किसी के थाली से जुड़ा हुआ मुद्दा है. पर कभी विश्वसनीयता का प्रतीक रहा आज कई सवालों को जन्म दे रहा है यह चुटकी भर नमक, आयोडीन नमक…Next


read more:

वायरल हुआ इनकी शादी का विज्ञापन, शर्तें जान कुँवारे हुये हैरान

क्या इन विज्ञापनों को देखकर आपको लगा ‘कौनो हमार फिरकी ले रहा है’?

सोमवार आते ही पानी-पानी हो जाती हैं इस देश की लड़कियां


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh