डेनमार्क की जोआना पलानी ने 2014 में आतंकी संगठन आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट) के खिलाफ जंग लडऩे के लिए अचानक कॉलेज छोड़कर इराक का रुख कर लिया था. जोआना के लिए यह फैसला आसान नहीं था क्योंकि उन्होंने आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने का फैसला लिया था. दूसरे इसके लिए उन्होंने अपने देश की सरकार को जानकारी भी नहीं दी थी.
दरअसल जोआना पलानी डेनमार्क की वह लड़की है जिसने एक साल तक सीरिया में आईएस और असद की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. नवंबर 2014 में डेनमार्क को छोड़ने के बाद उन्होंने ‘पीपल प्रोटेक्शन यूनिट’ को जॉइंन कर लिया था. इसके बाद वह कुर्दिश की स्थानीय सरकार की सेना में शामिल हो गईं. पलानी पहले इराक गईं, उसके बाद वह सीरिया गईं.
इस दौरान 23 साल की जोआना पलानी को लगातार खतरों का सामना करना पड़ा. वह नहीं चाहती थी कि वापिस घर की ओर रुख करें. अपने एक इंटरव्यू में पलानी कहती हैं कि शुरुआत में वह अपने इस फैसले पर ज्यादा गंभीर नहीं थी लेकिन जैसे ही मुझ पर पहला आक्रमण हुआ मैं पूरी तरह से गंभीर हो गई.
अपने एक साल के अनुभव को साझा करते हुए जोआना पलानी कहती हैं ‘आईएसआईएस आतंकियों को मारना बहुत ही आसान काम है. उनके अनुसार आईएसआईएस के आतंकी बलिदान देने में आगे होते हैं, जबकि असद की सेना अच्छी तरह से प्रशिक्षित होती है जिससे असद की किलिंग मशीन भी कहा जाता है.’
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फिलहाल पलानी अपने घर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में आ गईं है. उन्होंने घर आने का फैसला डेनमार्क की पुलिस की तरफ से मिले मेल के बाद लिया. हालांकि, लंबे समय बाद स्वदेश वापसी पर कोपेनहेगन पुलिस ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया है.
वापस आने के बाद पुलिस ने पलानी से कहा कि वह दोबारा इराक या सीरिया जाने के बारे में ना सोंचे. अगर वह ऐसा करती हैं तो छह साल की सजा हो सकती है. हालांकि, उन्होंने जोआना को यह भी सलाह दी है कि वह फैसले के खिलाफ कोर्ट जा सकती हैं. सीरिया से वापस लौटने के बाद पलानी कोपेनहेगन में राजनीति और दर्शनशास्त्र की पढ़ाई पढ़ रही हैं…Next
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