कहते हैं अगर सच्चे दिल से किसी की मदद करना चाहो तो खुदा भी तुम्हे यह नेक काम करने से नहीं रोकता, और जब बात किसी के जान बचाने की हो तो क्या बात. आज की इस दुनिया में ऐसे बहुत ही कम लोग मिलते हैं जो अपनी जान को जोखिम में ड़ालकर दूसरों के लिए जिएं और मरे. लेकिन हमारे देश में हजारों लोग रोज ऐसा करते है. ये और कोई नहीं हमारे देश की गौरव कहीं जाने वाली सेना है जो दिन रात सिर्फ हमारी सुरक्षा के बारे में सोचती हैं, जिसे ना बम से डर लगता है ना ही रात के अंधेरे से. शायद यही वजह है जो बिना किसी ड़र के तपती गर्मी और ठंडे तापमान में भी अपना हौसला बनाए रखती हैं.
भारतीय सैनिकों के कारनामों ने यह सिद्ध किया है कि देशभक्ति के मामले में भारतीय सैनिकों का कोई जवाब नहीं. चाहे भारत-पाक युद्ध हो या फिर करगिल की लड़ाई, हर लड़ाई में हमारी सेना ने कमाल की बहादुरी दिखाई और इसलिए आज भारतीय सेना दुनिया की ताकतवर सेना में गिनी जाती है. यूं तो सेना पर कई फिल्में बनी है लेकिन आज हम आपको रूबरू करवाएंगे एक सच्ची कहानी से जिसने अपनी जिंदगी में डर को कभी महसूस ही नहीं किया.
ये कहानी है राजस्थान के रायपुर में जन्में सैनिक नरेद्र चौधरी की जिन्हें हाल ही में सलामी देकर अलविदा कर दिया गया. नरेन्द्र चौधरी अपने कार्यकाल में भारतीय सेना के बम निरोधक दस्ते का हिस्सा थे. छत्तीसगढ़ व अन्य नक्सल-प्रभावित इलाकों में कार्यरत रहे नरेन्द्र चौधरी ने कभी भी अपनी जान की परवाह नहीं की. अपनी जिन्दगी में उन्होंने कुल 256 बम डिफ्यूज़ किए व नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों में हज़ारों लोगों की जान बचाई.
Read: सेना में चौंकाने वाले इस सच को महिला सैनिक ने किया उजागर
नरेन्द्र चौधरी को उनके सहकर्मी व दोस्त उन्हें ‘स्टील मैन’(Steel Man) के नाम से बुलाते थे. नरेन्द्र 50 किलोमीटर तक बिना पानी व खाने के चल सकते थे और इस कारण वे काफी लोकप्रिय भी थे. वर्ष 2005 से नरेन्द्र चौधरी छत्तीसगढ़ के एक सेना प्रशिक्षण कॉलेज में ट्रेनर के रूप में कार्यरत थे. जंगल सरीखे इलाकों में जंग का प्रशिक्षण देने वाले इस कॉलेज में नरेन्द्र दूसरों को बम डिफ्यूज़ करना सिखाते थे. हमेशा दूसरों के लिए अपनी जान पर खेलने वाले नरेन्द्र चौधरी की मौत एक हादसे के कारण हुई है. बम डिफ्यूज़ करने का प्रशिक्षण देते वक़्त विस्फोट हो जाने से इनकी मौत हुई. खबरों की मानें तो अगर वहां सही तरीके से सुरक्षा होती और ट्रेनिग सही से दी जाती तो शायद नरेंद्र कई और बमों को डिफ्यूज़ कर सकते थें.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने जांबाज़ नरेंद्र चौधरी की शहादत को श्रद्धांजली दी है व परिवार वालों को उचित मुआवज़ा दिलवाने की भी बात भी कही है. इसे कुदरत का खेल ही कहेंगे कि जिस व्यक्ति को आजतक 256 बम नहीं छु पाए वह प्रशिक्षण देते हुए शहीद हो गया, और इसलिए आज हम नरेन्द्र सिंह की बहादुरी व उनके बलिदान को नमन करते हैं.
हम चाहते हैं कि यह प्ररेणादायक कहानी हर भारतीय जानें ताकि हम अपने सैनिकों के बलिदान को समझ सकें कि वो किस तरह अपनी जान को जोखिम में ड़ालकर करोड़ों लोगों के लिए जीते हैं और इसलिए आज हम महफूज हैं… Next
Read More
विदेश में लाखों का पैकेज छोड़ ये मॉडल हुआ सेना में शामिल
ये वो दस देशों की सेना है जिनके कामों पर आप भी कर सकते हैं गर्व
सेना में भूत को मिलता है वेतन और प्रमोशन
Read Comments