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इस कारण से आज भी मारुति जिप्सी को इस्तेमाल कर रही है भारतीय सेना

तकनीक के इस दौर में हर कोई चाहता है कि उसके पास अलग-अलग फीचर के लेटेस्ट उपकरण हो लेकिन कभी आपने सोचा है कि भारतीय सेना में आज भी मारुती जिप्सी इस्तेमाल क्यों होती है?


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कुछ और थी तब भारत में गाड़ी या कार बनाने वाली दो-तीन कंपनियां ही थी. लेकिन अब का दौर कुछ और है. आज विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत के लोगों को लुभाने के लिए अलग-अलग तरह की गाड़ियां बना रही हैं और बेच भी रही हैं. फिर भारतीय सेना में 1985 से लेकर आज तक जिप्सी को ही क्यों उपयोग में लाया जा रहा है? आइए इसका जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैंं.


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दरअसल आज के दौर में मारुती जिप्सी की तुलना वर्तमान ‘एसयूवी’ से की जाती है. विभिन्न देशों में सेनाके पास ज्यादातर एसयूवी गाड़ियां ही होती है. लेकिन एसयूवी गाड़ियां न तो हल्की होती हैं और न ही युद्ध वाले क्षेत्र में एक बेहतर गाड़ी उभरकर सामने आती है. जिप्सी के पास वह क्षमता है कि वह किसी भी दुर्गम क्षेत्र में जाकर अपना बेहतर प्रदर्शन दे सके. यह स्थिति के हिसाब से खुद को ढाल लेती है. इसे अंदर से बहुत ही मजबूत बनाया गया है तथा इसमें अनावश्यक उपकरणों को नहीं डाला गया. इसके अंदर चार सेलेंडर का इंजन है जिसकी क्षमता 80बीएचपी (हॉर्स पॉवर) की है.


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सेना की पसंद

शुरुआत से ही सेना जिप्सी का इस्तेमाल सड़कों से लेकर पहाड़ों और रेगिस्तान तक में ऑल-पर्पज वीइकल के तौर पर करती आ रही है. इसमें मिलिट्री उपकरण को ले जाने की पूरी क्षमता है. ऐसा नहीं है कि मारुति जिप्सी के बदलने की बात नहीं हो रही है. बीच में यह खबर आई थी कि सेना मारुति जिप्सी की जगह महिंद्रा स्कॉर्पियो और टाटा सफारी को दे देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वैसे मार्केट में दमदार फीचर के साथ अलग-अलग कंपनियों की गाड़ियां देखने के बाद कभी भी इसे बदलने के बारे में सोचा जा सकता है…Next


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