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कल तक चंद सिक्कों के लिए फैलाता था हाथ, आज है लाखों का मालिक

आज से करीब दो दशक पहले लोग लॉटरी टिकट खरीदकर रातों-रात अमीर बनने का सपना देखा करते थे. लेकिन बहुत ही कम लोगों का लखपति बनने का सपना सच हो पाता था. लॉटरी की रकम महज 5-10 हजार रुपए में सिमट जाया करती थी. जाहिर-सी बात है लॉटरी लगना किस्मत की बात है इसमें मेहनत की कोई भूमिका नहीं है. लेकिन वो कहते हैं न, किस्मत जिस पर भी मेहरबान हो जाए, उसकी तो बस निकल पड़ती है.


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1973 से भीख से जोड़े कुल 1.15 लाख रुपए, भिखारी ने इस कारण से कर दिए दान


कुछ ऐसा ही हुआ आंध्र प्रदेश के 35 साल के एक भिखारी के साथ. महज कुछ रोज पहले वो सड़कों पर भीख मांगा करता था. ये भिखारी भीख में मिले हुए पैसों से लॉटरी टिकट खरीदा करता था. वो भीख में मिले आधे से ज्यादा पैसों से आंध्र प्रदेश से केरल केवल लॉटरी टिकट खरीदने जाया करता था. कई सालों से टिकट खरीदते हुए उसके मन में ये विश्वास रहता था कि एक दिन उसकी लॉटरी जरूर लगेगी.


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गरीब बच्चों की किताबों के लिए भीख मांगता है ये ग्रेजुएट भिखारी


आसपास के लोग जब उसको ऐसा करते हुए देखते तो उसे समझाया करते थे कि अपनी दिन भर की जमा पूंजी ऐसी चीज में न लगाया करें. लॉटरी का कोई भरोसा नहीं है. लेकिन उस पर किसी की बातों का असर नहीं हुआ और उसने टिकट खरीदने का सिलसिला जारी रखा. वास्तव में लॉटरी से लखपति बना भिखारी विकलांग है. वो अपनी पत्नी और तीन बच्चों का पालन-पोषण भीख मांगकर ही करता था. लेकिन 65 लाख रुपए की लॉटरी लगने के बाद ये उम्मीद की जा रही है. कि अब ये व्यक्ति सड़कों पर भीख नहीं मांगेगा और कोई नया कारोबार शुरू करेगा…Next


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ये क्या! फिल्म ‘पीके’ में मिला दिल्ली के इस भिखारी को रोल और बदल गई किस्मत

ना उड़ाया मजाक, ना दिया एक-दो का सिक्का, सीधे बना दिया भिखारी से टॉफी बाबा

कोई अपनों से पीटा, तो किसी को अपनों ने लूटा


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