अकेले रहने का दर्द कोई इस चिंपांजी से पूछे जिसे खाना-पानी के बिना एक छोटे से आइलैंड पर छोड़ दिया गया था. पत्नी और बच्चे की की मृत्यु के बाद ऐसा कोई नहीं था जो इसकी परेशानी को समझे. उसका एक साथी पास ही के एक गांव का रहवासी था जो उसके लिए रोज केला और ब्रेड लाया करता था. लेकिन इस चिंपांजी की जिंदगी में तब खुशी लौटी जब उसकी मुलाकात चिंपांज़ी संरक्षण केंद्र की निर्देशिका एस्टेले राबालैंड से हुई.
पोंसो नाम का यह चिंपांजी जब पहली बार राबालैंड से मिला तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था. उसने तुरंत राबालैंड को गले लगा लिया. ऐसा लगा जैसे उसका अकेलापन दूर हो गया हो और दोस्त खोजने की तलाश भी पूरी हो गई हो.
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पोंसो 20 चिंपांजियों में से एक था जिनकी उम्र सात से ग्यारह साल के बीच थी. उन्हें न्यूयॉर्क ब्लड सेंटर में टेस्ट करने के बाद आइवरी कोस्ट के द्वीप में छोड़ दिया गया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक द्वीप में छोड़े जाने के एक महीने बाद ही ग्यारह चिंपांजी मर गए थे. बाद में पोंसो और उसके परिवार को छोड़कर नौ चिंपांजी बीमारी और भूख से मर गए थे.
इस बीच पोंसो के परिवार की स्थिति भी खराब होने लगी और तीन साल पहले 2013 में उनकी भी मौत हो गई. परिवार के गुजरने के बाद पोंसो अकेला रह गया. इन सब घटनाओं और तीन साल बिताने के बाद आज पोंसो एस्टेले राबालैंड को पाकर बहुत ही खुश है. उधर पोंसो से मिलने के बाद राबालैंड भी बहुत खुश हैं और एक फोटो भी फेसबुक पर शेयर की है. यह बताते हुए कि पोंसो उनका एक नया दोस्त है…Next
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