मंत्री जी का काम व्यस्त रहना है. व्यस्तता भी मंत्री की पहचान है. अगर मंत्री पद फिर पाना हो तो अतिरिक्त व्यस्तता दिखानी पड़ती है. फिर व्यस्तता मिनटों काम में लगे रहने से उपजी हो या काम करते दिखने की जरूरत से. सो, दोनों ही परिस्थितियों में गलती होने की सम्भावना रहती है. हो भी क्यों न? गलतियाँ इंसानों से होती है. लोक मीडिया के अस्तित्व में आने से गलतियाँ ज्यादा उजागर होने लगी है. लोक मीडिया के अलग-अलग खिलाड़ी एक ही गलती को इतना खिंचते हैं जैसे च्युंगम हो, जितना मर्जी हो फैला लो.
ऊपर की पंक्तियों में इतनी भूमिका इसलिये बाँधी गयी क्योंकि झारखंड की शिक्षा मंत्री ने तब जीवित ए पी जे अब्दुल कलाम को भूल से श्रद्धांजलि दे दी थी. अब यही गलती उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बंशीधर राज से हो गयी. उन्होंने सपा नेता मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के मौके पर उनकी तस्वीर पर हार चढ़ा दिया.
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पूर्व मंत्री की इस गलती को लोक मीडिया और समाचार से जुड़े ऑनलाइन संगठनों ने अपने-अपने प्लेटफॉर्म पर जगह दी और इसके बाद पाठकों की प्रतिक्रियायें आनी शुरू हो गयी. अपनी प्रतिक्रियायों में जिस पाठक के दिल औ दिमाग में जो भी आया उन्होंने उसे वहाँ ठेल दिया. लोक मीडिया पर इस खबर के आने के बाद पूर्व मंत्री की प्रतिक्रिया आनी थी. लेकिन प्रतिक्रिया समाजवादी नेताओं की आई जिन्होंने अपने पूर्व मंत्री का बचाव करते हुए साफगोई से स्वीकार किया कि मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन मनाने के उत्साह में यह गलती हो गयी. गलती ही तो थी! है ना? Next….
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