यदि कोई आपको धकिया दे यानी धक्का मार दे तो गुस्सा आना या बुरा लगना स्वाभाविक है, क्योंकि जब आप किसी से अदब के साथ पेश आते हैं तो आप सामने वालों से भी यही कामना करते हैं कि वह भी आपका सम्मान करे. जरा सोचिए यदि आपको पूरे दिन किसी को धक्का मारने को कहा जाए तो आप क्या करेंगे? आप सोचेंगे कि ये भी कोई काम है, भाल एक सभ्य इंसान किसी को क्यों धक्का मारें? लेकिन अगर बात पेट की हो तो भला कौन न करे इसे. जी हाँ, इस दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें दिनभर लोगों को धक्का मारना पड़ता है, क्योंकि इस काम से उनका परिवार चलता है.
धक्केबाजों को जापान के भीड़भाड़ वाले स्टेशनों पर देखा जा सकता है. हालांकि कई लोग इसे सही नौकरी नहीं मानते हैं.
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जापान के भीड़भाड़ वाले स्टेशनों पर तैनात धक्केबाजों को किसी यात्री को धक्का लगाना पसंद नहीं है और न ही यात्रियों को इस तरह की हरकते पसंद है. लेकिन ऐसा करना यात्री सुरक्षा और जापान रेल के हित में होता है. हालांकि अपने देश में थोड़ा अलग माहौल है. यहां सहयात्री ही लोगों को धक्का देकर ट्रेन के अन्दर और बाहर कर देते हैं.
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भारत में भी यही हाल- राजधानी दिल्ली में भी सभी भीड़भड़ वाले मेट्रों स्टेशनों पर यही हाल है, लेकिन यहां लोगों को धक्का लगाने के लिए गार्ड को अलग से पैसा नहीं दिया जाता है. यह गार्ड यात्रियों के सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं. जब दिल्ली मेट्रों में यात्रियों की भीड़ ज्यादा हो जाती है तो सुरक्षा के लिए तैनात गार्ड यात्रियों को धक्का लगा के ट्रेन से बाहर या अन्दर कर देते हैं. हालांकि इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि धक्का-मुक्की में कई बार महिलाओं के साथ छेड़खानी जैसी हरकते भी की जाती है.Next…
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