आज के बदलते परिवेश में, हमारे पास अपनों के लिए भी वक्त नहीं है. बल्कि हम में से कुछ लोग तो ऐसे हैं जो बमुश्किल ही अपने परिवार के साथ रात का खाना एक साथ खा पाते हो. वहीं दूसरी ओर लोग समाज में रहते तो हैं लेकिन सामाजिक होना भूल चुके हैं. आमतौर पर हम सबके लिए सोशल रहने की परिभाषा हमारे आसपास के लोगों से जुड़े रहने से है. लेकिन आप अगर गौर करें तो मानवजाति के अलावा पेड़-पौधे, पशु, परिन्दे भी समाज का ही एक हिस्सा हैं.
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जिनके लिए बेशक हम कुछ न करें लेकिन वो हमारे लिए बिना कहे ही बहुत कुछ कर देते हैं. लेकिन इसका अर्थ ये बिल्कुल भी नहीं है कि हर मनुष्य इनके प्रति उदासीन रवैया रखता है. हमारे बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मानव होने के फर्ज को बखूबी निभा रहे हैं. चेन्नई के रहने वाले 62 साल के एक शख्स ने सभी के सामने एक मिसाल कायम की है. शेखर नाम का ये व्यक्ति पेशे से कैमरा रिपेयर का काम करता है.
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जो अपनी आमदनी का 40 प्रतिशत हिस्सा, रोज करीब 4000 पंछियों को खाना खिलाने में खर्च करते हैं. जिनमें से अधिकतर तोते होते हैं. खास बात ये है कि शेखर साल 2004 से इस भले काज को कर रहे हैं. ऐसा कदम उन्होंने 2004 में आई सुनामी के बाद उठाया है. सुनामी के दौरान हुई तबाही को अपनी आंखों से देखने के बाद, उनके मन पर इतनी गहरी छाप पड़ी कि उन्होंने अपना बाकी बचा हुआ जीवन इन मासूम परिन्दों के नाम कर दिया.
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वे रोज इन पक्षियों के लिए अपने घर से चावल और दूसरा समान लेकर आते हैं. ड्योढ़ी पर बैठे हुए पक्षी शेखर को देखते ही उनके आसपास मंडराने लगते हैं. इतने सालों में वो सभी शेखर को अच्छी तरह पहचान चुके हैं. चेन्नई में रहने वाले लोग, उनके इस सराहनीय काम के लिए ‘बर्डमैन ऑफ चेन्नई’ के नाम से पुकारने लगे हैं…Next
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