किसी ने सही ही कहा है ‘युद्ध का आगाज तो होता है लेकिन अंजाम नहीं होता.’ इसका मतलब ये है कि एक बार युद्ध शुरू होने के बाद इसके नकरात्मक पहलू हमेशा बरकरार रहते है. बल्कि कुछ जख्म तो ऐसे होते हैं जिन्हें वक़्त के साथ भरना बहुत मुश्किल होता है. युद्ध कभी भी किसी जाति,वर्ग या उम्र को नहीं देखता. वो विनाश की आगोश में किसी भी जीव को भरने से परहेज नहीं करता.
वियतनाम युद्ध की दर्दभरी कहानी भी किसी से छुपी हुई नहीं है. वैसे तो इस युद्ध से जुड़े हुए बहुत से दुखभरे अनुभव होंगे. लेकिन किम फुच नाम की महिला की कहानी ऐसी है जिन्होंने 40 साल से भी अपने शरीर के दर्द को झेला है. दर्द भी ऐसा की, रोज जीने से अच्छा मर जाना कहीं आसान लगने लगे. किम फुच के मुताबिक जब 1972 में वियतनाम युद्ध अपनी चरम सीमा पर था तो वो एक छोटी बच्ची थी.
इस दौरान नापलम बम के फेंके जाने से, पूरे शहर में आग फैली हुई थी. ऐसी कोई जगह भी नहीं थी जहां आग का कहर न फैला हो. अपनी जान बचाने के लिए वो और कुछ बच्चे वहां से भाग निकले. लेकिन आग इतनी तेजी से फैल रही थी कि खुद को बचा पाना बेहद मुश्किल था. आग किम के कपड़ों में जा लगी थी. खुद को बचाने के लिए उन्होनें अपने शरीर के सारे कपड़े उतार दिए. लेकिन उनके कपड़े उनके शरीर के साथ चिपक चुके थे. और उनकी चमड़ी बुरी तरह झुलस चुकी थी.
उस समय निक नाम के एक मशहूर फोटोग्राफर ने युद्ध के इस भयावह मंजर को अपने कैमरे में कैद किया था. किम बताती है कि ” मेरी हालत इतनी खराब थी कि ऐसा एक दिन नहीं गुजरा जिस दिन मेरे आंख से आंसू न निकले हो. मुझे याद है मैं पेड़ पर चढ़ा करती थी, अमरूद तोड़ना मुझे बेहद पंसद था. लेकिन मेरी त्वचा इस कदर जल गई थी कि किसी के छूने से भी बहुत दर्द होता था.”
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उस फोटोग्राफर का जिक्र करते हुए किम कहती हैं. “उनकी क्लिक की हुई फोटो जब आला-अधिकारियों तक पहुंची तो उन्होनें हालात की गंभीरता समझते हुए मुझे इलाज के लिए शिविर में रख लिया. बहुत इलाज के बाद भी मुझे दर्द से कोई राहत नहीं मिली. इसी तरह 40 साल गुजर गए. इस दौरान मैनें शादी भी की, मेरे पति शुरू से ही मेरी बहुत परवाह करते थे. उन्होंने मुझे लेजर ट्रीटमेंट की सलाह दी. बहुत साल लेजर ट्रीटमेंट करवाती रही. शुरुआत में तो मेरी जान निकल जाती थी.
पर धीरे-धीरे लेजर का असर होना शुरू हो गया. आज मैं पूरी तरह ठीक हूं. किम आज अपनी सुधरी हुई हालत का श्रेय फोटोग्राफर निक और अपने पति को देती है. उल्लेखनीय है कि निक की ये फोटो वियतनाम युद्ध की विभीषिका को सही तरीके से परिभाषित करने में सहायक साबित हुई…Next
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