चीन की सरकार ने अपने देश के इस अनोखे स्कूल को बंद करने का आदेश दे दिया है. यह स्कूल अनोखा इसलिए था क्योंकि यह किसी मानव निर्मित इमारत में नहीं बल्कि हजारों साल में प्रकृति द्वारा बनाए गए एक विशाल गुफा में चलता है. चीन सरकार द्वारा इस स्कूल को बंद करवाने के पीछे तर्क यह है कि इससे देश की छवि खराब होती है. हालांकि वहां के क्षेत्रीय निवासी इस तर्क से इत्तेफाक नहीं रखते.
यह स्कूल चीन के ग्यूझाउ प्रांत में स्थित है जो कि चीन के सबसे गरीब प्रांत में से एक है. सूखे और बंजर होने के चलते इस क्षेत्र के लोगों को लगातार जिंदा रहने के लिए संघर्ष करते रहना पड़ता है. जिंदगी के लिए बुनियादी चीजों का अभाव शिक्षा पर भी दिखता है. यहां के ज्यादातर बच्चों के लिए स्कूल एक सपने की तरह है.
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सरकार की तरफ से शिक्षा के लिए बहुत ही कम सहायता मिलने के कारण यहां के लोगों ने शिक्षा व्यवस्था को अपने हाथों में ले लिया है. क्योंकि स्कूल की इमारत बनाने के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध नहीं थे, इसलिए यहां के निवासियों ने यह तय किया कि वे यह स्कूल एक विशाल गुफा के अंदर ही बनाएंगे. इस स्कूल का नाम दिया गया है ‘मिड केव प्राइमरी स्कूल’ जो की बिल्कुल अनकूल मालूम पड़ता है. यह स्कूल 1984 में खुला था. इसमें कुल 8 अध्यापक और 186 विद्यार्थी हैं.
हालांकि अब बीजिंग की सरकार ने इस स्कूल को बंद करवाने के आदेश दे दिए हैं. सरकारी शिक्षा विभाग के प्रवक्ता ने स्कूल को बंद करने के पीछे कारण बताते हुए कहा कि चीन में गुफा मानव का समाज नहीं है. हालांकि इस स्कूल के पूर्व हेडमास्टर जी लिन चुन ने स्कूल बंद किए जाने को शर्मनाक करार दिया है.
जी लिन के अनुसार, “इस स्कूल में खेल के मैदान में भी हमें मौसम की चिंता नहीं करनी पड़ती थी क्योंकि यह हमेशा सूखा रहता था.” उनके अनुसार गुफा की परिस्थितियां अध्यापन में भी मदद करती थी.
“गुफा की दीवारों पर चट्टाने के स्तरीकरण को साफ देखा जा सकता है जिससे बच्चों को भूविज्ञान पढ़ाना काफी आसान हो जाता है, साथ ही जीव विज्ञान पढ़ाने के लिए किताबों की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि गूफा में ढ़ेरों छिपकलियां और चमगादड़ रहा करती हैं.” Next…
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