इन दिनों ओएलएक्स,क्विकर या ऐसी ऑनलाइन ई-कॉमर्स साइटों पर अगर आपको भी ऐसे ही विज्ञापन देखने को मिले तो इसे कोई मजाक समझने की भूल बिल्कुल मत कीजिए क्योंकि इस बकरीद आपको तरह-तरह की बकरियां ऑनलाइन उपलब्ध हो सकती हैं.
ई-कॉमर्स साइटों पर ऐसे विज्ञापन खूब देखने को मिल रहे हैं. अच्छी नस्ल वाली बकरियों की मांग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनकी कीमत 5000 रू.से 40,000 रू. तक बताई जा रही है साथ ही साइटों पर किसी भी प्रकार के मोल-भाव का विकल्प नहीं है. निश्चित दामों पर भी बकरियों की मांग में कोई कमी नहीं आई है.
हालांकि बकरियों की ऑनलाइन बिक्री ने एक नई बहस को जरूर खड़ा कर दिया है,जहां एक ओर कुछ लोग इसे डिजिटल युग और इंटरनेट क्रांति से जोड़ कर देख रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस तरीके पर नाक-भौंह सिकोड़ने वालों की भी कमी नहीं है.
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मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कुछ लोगों का कहना है कि ऑनलाइन साइटों पर सिर्फ बकरी की फोटो देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि बकरी किसी बीमारी से ग्रस्त है या नहीं. इसके अलावा बकरी से जुड़े कई महत्वपूर्ण दूसरे पहलूओं के बारे में पता लगाना भी आसान नहीं है. उनके मुताबिक अगर बकरी में कोई बीमारी हो तो उसका बलिदान इस्लाम की मान्यता के अनुसार वर्जित माना जाता है.
आगरा के मुफ्ती मुदस्सर अली कादरी का ऑनलाइन बिक्री के बारे में मानना है कि समय तेजी से बदल रहा है ऐसे में मुस्लिम समुदाय को भी बदलाव में आगे बढ़ना चाहिए वहीं युवाओं में इंटरनेट की बढ़ती लोकप्रियता तो जगजाहिर है ऐसे में जानवरों की ऑनलाइन बिक्री-खरीद में हर्ज ही क्या है.
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दूसरी तरफ भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के अध्यक्ष समी आगी को जानवरों की ऑनलाइन बिक्री में कुछ नया नहीं लगता. उनका मानना है कि इंटरनेट का क्रेज युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा है वहीं इंटरनेट की उपयोगिता हमारी जिंदगी में दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में यह बात एक आम बात है.
जामा मस्जिद के शाही इमाम के सचिव मोहम्मद मुस्तकीम का कहना है ‘ पिछली ईद में बाजार के कई कारणों की वजह से बकरियों के दाम आसमान छू रहे थे जबकि ऑनलाइन बिक्री से खरीदारों को कुछ राहत जरूर मिलेगी.Next…
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