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ये हैं भारतीय रियासतों पर सर्वाधिक समय तक शासन करने वाले राजा

अंग्रेजी शासनकाल के दौरान अविभाजित हिन्दुस्तान में कई छोटे-बड़े स्वायत्त राजे-रजवाड़े हुआ करते थे. इनमें से कई राज्य ऐसे भी थे  जिनपर अंग्रेजों का सीधा शासन नहीं  था. इसलिए आम बोलचाल की भाषा में इन राज्यों को “रियासत” या “रजवाड़े” कहा जाता है. 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश सार्वभौम सत्ता का अन्त होने के बाद 565 रियासतें बिलकुल आजाद हो गईं. इनमें से कुछ हिन्दुस्तान के पाले में आईं तो कुछ पाकिस्तान के.  इन राजाओं-महाराजाओं के बारे में कई दिलचस्प किस्से प्रचलित हैं. आइए जानते हैं अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान राज करने वाले कुछ ऐसे देसी राजाओं के बारे में जिन्होंने वर्षों तक अपनी-अपनी रियासत पर शासन किया.


Bhagvat-Singh


मुधोजी चतुर्थ के नाम किसी भी राजा द्वारा किसी भारतीय रियासत पर सबसे लंबे समय तक शासन करने का रिकॉर्ड दर्ज है. भारत की आजादी के बाद 8 मार्च 1948 को फल्टन ने भारत के डोमिनियन को स्वीकार कर लिया.


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महाराजा भागवतसिंह साहिब- महाराजा भागवतसिंह1869 से 1944तक गोंडल (गुजरात) के राजा रहे हैं. महाराजा भागवतसिंह ने कुल 74 साल और 87 दिन तक गोंडल पर राज किया. महाराजा भागवतसिंह को एक प्रगतिशील और प्रबुद्ध शासक माना जाता था. इन्होंने अपने राज्य में आधुनिक शिक्षा को प्रोत्साहित किया था. गौरतलब है कि मात्र 4 वर्ष की उम्र में ही महाराजा भागवतसिंह साहिब  राजा बन गए थे.



Jagatjit-Singh


जगजीत सिंह बहादुर– जगजीत सिंह बहादुर ने 1877 से 1949 तक कपूरथला (पंजाब) पर शासन किया. इन्होंने कपूरथला में शासन करते हुए 72 साल और 156 दिन पूरे किए. जगजीत सिंह बहादुर को मात्र 5 साल की उम्र में ही राजा बना दिया गया था लेकिन उन्हें एक राजा के रूप में सभी शक्तियों को 18 साल के बाद दिया गया. जगजीत सिंह बहादुर ने ही कपूरथला को एक नगर के रूप में विकसित  किया था.


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परशुराम राव श्रीनिवास– परशुराम राव श्रीनिवास  ने 1777 से 1848 तक औंध (महाराष्ट्र) पर शासन किया. उन्होंने 70 साल और 286 दिन तक औंध के राजा की गद्दी संभाली. औंध राज्य को एक मराठा सेनापति और व्यवस्थापक परशुराम त्रिम्बक पंत प्रतिनिधि द्वारा स्थापित किया गया था. औंध अब महाराष्ट्र के सतारा जिले का हिस्सा है. आजादी के बाद औंध 1948 में भारतीय संघ में शामिल हो गया.


Krishnaraja-Wodiyar


मुम्मादी कृष्णराज वाडियार 1799 में अंग्रेजों द्वारा टीपू सुल्तान की हत्या के बाद  मैसूर के महाराजा बने. कृष्णराज वाडियार कई भाषाओँ के जानकार होने के साथ ही वीणा  भी बहुत अच्छी बजाते थे.Next…


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