एक चीज जो दक्षिण भारत के रेलवे स्टेशनों को उत्तर भारत के रेलवे स्टेशनों से अलग करती है वह है दक्षिण के स्टेशनों की साफ-सफाई. लेकिन दक्षिण भारत के इस छोटे से स्टेशन की खूबसूरती एक बेहद ही मामूली अविष्कार के कारण दूसरे अयाम पर पहुंच गई है. कोच्ची एयरपोर्ट से 16 किमी दूर अलुवा, एक छोटा सा शहर है. रेलवे स्टेशन परिसर में प्रवेश करते ही आपकी नजर रेलवे पटरियों के बीच बने बेरिकेड पर प्लास्टिक की बोतले लटकी नजर आएगी जिनमें रंग-बिरंगे फूल खिले नजर आएंगे.
किसी भी सार्वजनिक जगह पर आंखों को चुभने वाली प्लास्टिक की बोतलों का इतना खूबसूरत प्रयोग करने के पीछे अरुण कुमार का दिमाग है. अरुण कुमार क्षेत्र के स्वास्थ अधीक्षक हैं. इस छोटे से प्रयोग ने न सिर्फ रेलवे स्टेशन की खूबसूरती को चार चांद लगाया बल्कि कई अन्य समस्याओं का भी समाधान कर दिया.
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रेलवे ट्रैक के बीच इन प्लास्टिक के गमलों के लग जाने से लोगों द्वारा एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए पटरियों के प्रयोग पर लगाम लगा है. लोग अब इसके लिए फुटओवर ब्रिज का प्रयोग करने लगे हैं क्योंकि अब ट्रैक के बीच इतनी जगह ही नहीं बची है कि इससे लोग निकल पाएं. ज्ञात हो कि प्लेटफॉर्म बदलने के लिए लोगों द्वारा पटरियों का प्रयोग रेलवे दुर्घटनाओं की एक प्रमुख वजह है.
स्टेशन को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए यहां के कर्मचारियों को मेहनत तो करनी पड़ती है लेकिन इस तरीके से बिना किसी अतिरिक्त मेहनत और खर्च के स्टेशन की सूरत इतनी खूबसूरत हो गई है कि इसके लिए लाजवाब शब्द हल्का लगता है. Next…
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