है कानपुर के ग्रामसभा पश्चिम पारा का. इस गांव में आज तक बिजली नहीं आई है. इस कारण गाँव के युवा लड़के पिछले सात सालों से कुंवारे बैठे हैं. अब यहाँ की युवा पीढ़ी उम्मीद भरी नजरों से सरकार की ओर देख रही है, क्योंकि सिर पर सेहरा तभी बंधेगा, जब गांव में बिजली आएगी.
उत्तर प्रदेश के पश्चिम पारा गांव लगभग 300 साल पहले बसा है. गांव में पिछड़े वर्ग के लोगों की संख्या काफी है और यहाँ की आबादी करीब 700 लोगों की है. इनमें पुरुषों की संख्या करीब 500 और महिलाओं की संख्या 200 है. गांव में करीब 30 युवा ऐसे हैं जिनकी शादी की उम्र हो गई है, लेकिन यहाँ पिछले सात सालों से बिजली ना होने के कारण शहनाई नहीं बजी.
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गांव की महिला ग्रामप्रधान के देवर छोटे साहू ने बताया कि जब 90 के दशक में पहली बार मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी थी तब उनसे बहुत उम्मीदें थीं. लेकिन गांव का सपना सपना ही रह गया. इसके बाद अलग-अलग पार्टी की सरकार का आना-जाना लगा रहा, लेकिन किसी ने भी इस गांव की ओर ध्यान नहीं दिया. बसपा सुप्रीमो मायावती ने गांव को अंबेडकर गांव का दर्जा दिया लेकिन इस गाँव को बिजली नहीं दी.
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अब इस गाँव का आलम यह हो गया है कि यहाँ के हर कुंवारे लड़कों में एक डर बैठ गया है कि अब कभी भी उनकी शादी नहीं होगी. गांव के 90 फीसदी युवा लड़के इंटर पास हैं, लेकिन शादी के लिए कोई रिश्ता नहीं आता. कोई भी रिश्तेदार गांव में आने से पहले पूछता है कि क्या गांव में बिजली है? लेकिन गाँव में बिजली नहीं होने के कारण मां-बाप अपनी बेटी की शादी यहां नहीं करना चाहतें हैं.Next…
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