जीने के लिए उम्मीदों का सहारा होना जरुरी है. कहीं न कहीं उम्मीद ही मानव में ईश्वर के प्रति आस्था को जगाती है. इसी उम्मीद की वजह से इंसान पत्थरों में भी ईश्वर के रूप को देख लेता है. ईश्वर के प्रति अटूट आस्था अच्छी बात है, लेकिन आस्था इतनी भी गहरी नहीं होनी चाहिए कि ईश्वर भक्ति और अंधविश्वास में कोई अंतर ही न देखें. अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास कि एक लड़की को इसलिए पिछले तीन महीनों से पूजा जा रहा है क्योंकि उसके अन्दर गाँव के लोगों को भगवान शिव का अवतार दिख रहा है.
के दर्शन के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं.
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कहा जाता है कि तथाकथित शिव अवतार यह लड़की जन्म से ही गूंगी थी, लेकिन अब बोलने लगी है. छ: साल की इस लड़की ने शिशु अवस्था में ही अपने माँ को खो दिया है तब से इसका लालन-पालन सौतेली माँ ने किया है. मान्यता है कि यह शिव रूप बालिका जिस पीपल के नीचे बैठी है उस पीपल में शिव के त्रिशूल भी उभर आए हैं.
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अपने दर्शनाभिलाषी भक्तों की व्याथा सुनकर उनके दुःख और पीड़ा को दूर करने के लिए आशीर्वाद देती हैं. गाँव वालों ने शिव के इस अवतार को देखकर यहाँ एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण कराने की योजना बनाई है. गाँव वालों का कहना है कि हम सभी भाग्यशाली हैं कि खुद शिवजी हमारे गाँव अवतरित हुए हैं.
ज्ञात हो कि पूरे बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिव चर्चा के प्रति लोगों की आस्था बढ़ रही थी, लेकिन इस घटना के बाद शिव चर्चा में भारी कमी आई है क्योंकि तथाकथित शिव के अवतार इस लड़की ने शिव चर्चा पर रोक लगाने को कहा है.Next…
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