माना कि अतिथियों के लिए “देवो भव:” का भाव हिन्दुस्तानियों के मन में होता है. लेकिन ऐसा अतिथि सत्कार अच्छा नहीं होता जो अपने ही भाइयों की बेइज्जती के बुनियाद पर टिकी हो. हाल ही में हिमाचल प्रदेश के एक कैफे में भारतीयों के लिए प्रवेश निषेध कर दिया गया. कैफे के प्रबंधक सदस्यों ने यह कहते हुए भारतीयों को रोक दिया कि यहाँ केवल विदेशी लोग ही आ सकते हैं. क्या इसी दिन के लिए अंग्रेजो के गुलामी से देश को आजाद कराया गया था?
सबसे पहले इस घटना की सूचना या जानकारी लोगों तक फेसबुक के मारफत पहुंची. यह अलग बात है कि कुछ लोग फेसबुक पोस्ट को गंभीरता से नहीं लेते हैं. उनका तर्क होता है कि यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ केवल हल्की-फुल्की बातें होती है. लेकिन इस घटना के पहले भी ऐसी कई घटनाएं घटित हुई है जो फेसबुक पोस्ट के माध्यम से समाज में आग के लपटो की तरह जन-जन तक पहुंची है.
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अपने ही मुल्क के लोग कसोल (हिमाचल प्रदेश) के एक कैफे में नहीं जा सकते हैं. दरअसल पूरा मामला तब शुरू हुआ जब दिल्ली में रह रहे एक ब्रिटिश संगीतकार स्टेफन केये ने फेसबुक पर लिखा कि जब वो रविवार को अपने भारतीय दोस्त के साथ कैफे गए तो उनकी महिला मित्र को सर्व करने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया क्योंकि वो भारतीय हैं.
फेसबुक के इस पोस्ट के बाद प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. फेसबुक पर दो ऐसे संदेश पोस्ट किए गए हैं जिसमें आरोप लगाया है कि एक आदमी जो फ्री कसोल कैफे चलाता है उसने भारतीयों को प्रवेश करने से मना कर दिया. कैफे के सदस्यों का कहना है कि यह सिर्फ विदेशी लोगों के लिए है. इस कैफे में यूं तो सभी देशों के पर्यटक आते हैं लेकिन सबसे ज्यादा इजराइल के पर्यटक यहाँ आना पसंद करते हैं.
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कुल्लू के उपायुक्त राकेश कंवर ने कहा कि पुलिस जिला अधीक्षक को इस मामले की जांच करने के लिए कहा गया है. हालांकि इस मामले की लिखित शिकायत दर्ज नहीं की गई है.Next…
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