हम भारतीय हमेशा जुगाड़ लगाने में आगे रहते हैं. जुगाड़ लगाने के पीछे एक मात्र उद्देश्य होता है कम लागत में अच्छी सुविधा प्राप्त करना. हम लोगों के पास किसी भी समस्या का देशी काट (समाधान) होता है. कई बार किसी वस्तु का विकल्प खोजने के क्रम में ऐसी वस्तुओं की खोज हो जाती है जो छोटे स्तर पर ही सही लेकिन जन उपयोगी होता है. ताजा उदाहरण भोपाल का है जहाँ एक हाईस्कूल पास मैकेनिक ने अपने बेटे के लिए जुगाड़ तकनीक से एक बाइक बना दिया.
है. अपने इस कारनामे पर बंटी मिर्जा कहते हैं कि उनके दोस्त मनीष देवलिया की मोपेड खराब हो गई थी. तब मनीष ने मोपेड को बनवाने के लिए उनके गेराज में रख दिया था.
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मोपेड की कीमत मात्र 7 सौ रुपए लगाई. 7 सौ रुपए की मामूली कीमत सुनकर बंटी ने मोपेड को बेचने का इरादा छोड़ दिया. लगभग 10 सालों तक यह मोपेड यूं ही गैराज में पड़ी रही.
बंटी के दिमाग में अपने बेटे के लिए छोटी सी बाइक बनाने का विचार आया. स्कूटर के टायर, मोपेड का इंजन, बाइक की टंकी, कार के फोक लैंप और अन्य गाड़ियों के पार्ट्स से चेसिस बनाया. इन सभी गाड़ियों के अलग-अगल पार्ट्स को मिलाकर दो साल में बेटे के लिए नैनो बाइक बना दिया.
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इस बाइक का वजन करीब 30 किलो है और इसका माइलेज 40 किलोमीटर प्रति घंटा है. यह बाइक बंटी ने अपने बेटे के लिए बनाया है, पर इसकी मजबूती के कारण इस पर बड़े भी सवारी कर सकते हैं…Next…
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