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साल में एक बार हजारों लोग टूट पड़ते हैं इस तालाब पर, 15 मिनट में मछलियों से कर देते हैं खाली

घंटी बजने और गोली चलने की आवाज के साथ ही सैकड़ों आदमी तलाब में कूद पड़ते हैं. सबके पास मछली पकड़ने की टोकरी होती है जिसमें वे हाथों से मछलियां पकड़-पकड़ कर डालते जाते हैं. यह सिलसिला करीब 15 मिनट तक चलता है और फिर एक गोली चलती है. कीचड़ में लथपथ सैकड़ों डोगोन जाति के मर्द तालाब से बाहर निकल आते हैं. उनकी पीठ पर लटकी टोकरी, हाथ और मुंह हर जगह मछलियां भरी पड़ी रहती हैं लेकिन इस 15 मिनट में तालाब मछलियों से खाली हो जाया करता है. इस तालाब में साल में सिर्फ एक दफा मछलियां पकड़ी जाती हैं और वह भी बेहद अनोखे ढंग से.



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ये है माली का बंबा गांव जहां मुख्य रूप से डोगोन जाति के लोग रहते हैं. इस गांव के पवित्र तालाब में मछली पकड़ने के इस उत्सव को एन्टोगो कहा जाता है. यह उत्सव साल में एक बार मनाया जाता है. कभी बंबा भी हरा-भरा हुआ करता था. तब इस तालाब से हजारों टन मछलियां निकलती थी जो क्षेत्रीय लोगों के भोजन की जरूरतों को पूरा करती थीं. लेकिन समय के साथ यहां का मौसम भी बदला और अब यह इलाका रेगिस्तान में बदलत और रहने के लिए दुष्कर होता गया.


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इलाके के सूख जाने के बावजूद यह तालाब बचा रहा और इसकी मछलियां आज भी क्षेत्र के लोगों के पेट भरती हैं. लेकिन इस तालाब को मछलियों से एन्टोगो उत्सव के दौरान मात्र 15 मिनट में खाली कर दिया जाता है. इस उत्सव के दिन देश भर से डोगोन जाति के लोग बड़े-बड़े समूह में तालाब के चारों ओर एकत्रित होते हैं.


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महिलाओं को इस कर्मकांड में नहीं शामिल होने दिया जाता क्योंकि मासिक धर्म के कारण उन्हें अपवित्र माना जाता है. हजारों लोगों की भीड़ उत्सव के शुरू होने तक एक रहस्यमयी चुप्पी बनाए खड़ी रहती है. इस दौरान केवल एक पुजारी इष्ट देवताओं की प्रार्थना करता है और इस उत्सव के बारे में लोगों को बताता है.


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घंटी बजने और गोली चलने की आवाज के साथ वहां मौजूद हजारों की भीड़ पानी में उतर जाती है. 15 मिनट बाद जब दुबारा गोली की आवाज सुनाई देती है तो सब अपने द्वारा पकड़ी गई मछलियां लेकर तालाब के बाहर आ जाते हैं और सारी मछलियां बंबा गांव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को सौंप दी जाती है. यह बुजुर्ग व्यक्ति यह सुनिश्चित करता है कि सभी गांवों में मछलियों का बराबर बटवारा हो.


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आश्चर्यजनक रूप से यह उत्सव डोगोन जाति की संस्कृति से विपरित है. आमतौर पर डोगोन जाति के लोग पानी से दूर रहते हैं. वे नाइजर नदी से डरकर उससे दूर पहाडियों और अर्थ रेगिस्तानी जमीन पर बसते हैं लेकिन एन्टोगो उत्सव के दौरान डोगोन पानी के अपने इस डर को भूल जाते हैं. इन 15 मिनटों में तालाब में कूदे कीचड़ में लथपथ डोगोन को अगर कुछ याद रहता है तो बस मछली, मछली और मछली. Next…



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