राजस्थान के इस बंजारा जनजाति के केवल 24 परिवार हैं जो राज्य में विभिन्न जगह फैले हुए हैं. इस जनजाति का नाम है सातिया. इनका कोई स्थायी निवास नहीं होता और ये सड़क पर मरे आवारा जानवरों की लाशों को निस्तारण करने से मिलने वाली रकम में गुजारा करते हैं. इस जनजाति की सबसे खास बात ये है कि इसके सदस्य परिवार में जब कोई संतान पैदा होती है तो गम में रहते हैं जबकि परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर उत्सव मनाया जाता है.
इस जनजाति के ज्यादातर सदस्य अनपढ़ हैं. यह जनजाति शराब की लत और वैश्यावृत्ति के लिए भी कुख्यात है. गहरे भूरे रंग और गठीले बदन वाली इस जनजाति की स्त्रियां वैश्यावृत्ति में लिप्त रहने के लिए बदनाम हैं.
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लेकिन इस जनजाति की सबसे अनोखी बात मृत्यु के बाद इसके सदस्यों द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव ही है. इस दिन इस जनजाति के लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाईयां खरीदते हैं, मेवे और शराब के साथ उत्सव मनाते हैं. शमशान घाट तक लाश को ले जाने के दौरान गाजे बाजे के साथ नाचते हुए नजदीकी परिजन शमशान घाट चक जाते हैं. जब चिता की आग जलती है तो इस जनजाति के सदस्य भोज का आयोजन करते हैं. देशी शराब और नृत्य का दौर तब तक चलता है जबतक मृतक का शरीर पूरी तरह जलकर राख नहीं हो जाता. Next…
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