हर माह, आपका फाइनेंस डिपार्टमेंट सैलरी मिल जाने के बाद आपको सैलरी स्लिप भेजता है. ज्यादातर लोगों के लिए सैलरी स्लिप का महत्व सिर्फ लोन के लिए एप्लाई करने या फिर नया क्रेडिट कार्ड बनवाने के समय समझ में आता है लेकिन सच्चाई यह है कि आप अपने सैलरी स्लिप को बेहतर ढंग से समझकर कई लाभ उठा सकते हैं. जैसे;
इन हिस्सो में बटी है आपकी सैलरी स्लिप
1.बेसिक सैलरी- यह आपकी तनख्वाह का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह आपकी कुल सैलरी की 35-50 प्रतिशत तक होती है. आपकी सैलरी के अन्य भाग भी आपकी बैसिक सैलरी के आधार पर ही निर्धारित की जाती है.
टैक्स– बेसिक सैलरी पर शत-प्रतिशत टैक्स लगता है.
आपके हाथ में आती है?– हां.
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2. मकान किराया भत्ता- आमतौर पर आपको हाउस रेंट अलाउंस के रूप में आपकी बेसिक सैलरी की 40-50 प्रतिशत रकम मिलती है. यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप कहां रह रहे हैं. मेट्रो शहर या नॉन मेट्रो शहर में.
टैक्स– टैक्स की छूट इनमें से जो कम हो उसपर मिलती है-
क. आपके बेसिक पे के 40 प्रतिशत पर
ख. असल भत्ता घटा बेसिक पे के 10 प्रतिशत पर
ग. मकान किराया भत्ता जो आपकी सैलरी स्लिप पर अंकित हो.
आपके हाथ में आती है?– आमतौर पर हां.
3.वाहन भत्ता– यह भत्ता आपको घर से कार्यालय और कार्यालय से घर जाने में होने वाले खर्च की पूर्ति के लिए दिया जाता है. इसपर टैक्स से छूट मिलती है.
टैक्स– 1600 रुपए प्रति माह या जो वाहन भत्ता अपकी सैलरी स्लिप पर अंकित हो. इसमें से जो भी कम हो उसपर टैक्स नहीं लगता.
आपके हाथ में आती है? – हां, लेकिन यह इसपर निर्भर करता है कि आप वास्तव में कितना खर्च करते हैं.
4. चिकित्सा भत्ता– यह आपकी नौकरी के दौरान चिकित्सा पर हुए खर्च की पूर्ति के लिए दिया जाता है. अक्सर यह चिकित्सा पर हुए खर्च का प्रमाण प्रस्तुत किए जाने पर मिलता है.
टैक्स- चिकित्सा पर हुए खर्च का प्रमाण प्रस्तुत करने पर सालाना 15,000 तक के चिकित्सा भत्ता पर टैक्स में छूट मिलती है.
हांथ में आती है?– हां. अगर आप प्रमाण प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं, तो भी आपको पूरा चिकित्सा भत्ता मिलता है लेकिन तब यह शत प्रतिशत टाक्स के दायरे में आएगा.
5.परफॉर्मेंस बोनस और विशेष भत्ता– यह कर्मचारी को उसके प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है. अलग-अलग कंपनी में इससे संबंधित अलग-अलग नियम होते हैं.
टैक्स- 100 % टैक्स के दायरे में
आपके हाथ में आती है?– हां
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आपकी सैलरी से कटने वाली रकम-
1. प्रोविडेंट फंड– यह अक्सर आपके बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत होता है. यह सरकारी संस्था कर्मचारी प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन में जमा होता है. अक्सर अपके द्वारा जमा किए जा रहे प्रोविडेंट फंड के बराबर की रकम कंपनी भी आपके लिए जमा करती है. लेकिन इसकी एक सीमा होती है. अगर आप चाहे तो इस योजना से बाहर भी आ सकते हैं.
कटौती को कम कैसे करें?– जैसा कि पहले बताया जा चुका है, आप चाहें तो इस योजना से बाहर रहना चुन सकते हैं लेकिन ऐसी स्थित में आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप इससे बेहतर रिटर्न देने वाली बचत योजना, जैसे म्यूचुअल फंड आदि में निवेश करें. अगर आप निवेश को लेकर निश्चित नहीं हैं तो प्रोविडेंट फंड आपके लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.
2.प्रोफेशनल टैक्स– यह टैक्स निम्नलिखित राज्यों में लागू होता है. कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, असम, छत्तीसगढ़, केरल, मेघालय, उड़ीसा, त्रिपुरा, झारखण्ड, बिहार और मध्य प्रदेश. यह कुछ सौ रुपए होते हैं जो आपके टैक्स स्लैब से जुड़ता है.
कटौती को कम कैसे करें?– इसे कम नहीं किया जा सकता.
3.स्रोत पर टैक्स कटौती- यह आपकी पूरी टैक्स स्लैब के आधार पर लगता है जो आपका नियोक्ता इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से आपकी सैलरी से काटता है.
कटौती को कम कैसे करें?– टैक्स के इस बोझ को कम करने के लिए आप धारा 80 सी में आने वाली टैक्स बचत योजना में निवेश कर सकते हैं. Next…
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