संसार विविधताओं से भरा हुआ है और इन्हीं विविधताओं की एक कड़ी है रीतिरिवाज. संसार के सभी धर्म, समुदाय, कबीला आदि के बीच विधि-विधान में एकरूपता का होना मुश्किल है. जन्म और शादी-विवाह के उत्सवों से लेकर मृत्यु संस्कार तक के विधि-विधान में भिन्नताएं होती हैं. हमें अक्सर दूसरे धर्म, समुदाय या कबिले के विभिन्न कर्म-कांडों पर होने वाले रीति-रिवाजों को जानना दिलचस्प लगता है और यह दिलचस्पी हमेशा हैरानी भरी होती है.
मंडप में देरी से पहुंचता तो उसे हर्जाना भरना पड़ता है.
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इनकी शादियों में एक नियम ऐसा भी है जिसे जानकार आप कहेंगे कि- “रहने दे यार… मुझे शादी नहीं करनी.” जी हाँ, यह नियम ही कुछ ऐसा है. इस नियम में दूल्हा और दूल्हन को शादी के तीन दिनों तक शौचालय जाने की इजाजत नहीं होती. घबराईए नहीं! इस दौरान दूल्हा और दुल्हन को घर का शौचालय इस्तेमाल नहीं करना होता है. शौचालय के लिए उन्हें घर से बाहर जाना होता है. उन लोगों के लिए यह रिवाज सामान्य सी बात है.
टिडॉन्ग समुदाय की मान्यताएं
इस रीति-रिवाज के पीछे टिडॉन्ग समुदाय की मान्यता है कि इससे वर-वधु के वैवाहिक जीवन हमेशा खुशियों से भरी रहती है. टिडॉन्ग समुदाय के लोग कहते हैं कि शादी के तीन दिनों तक अगर दूल्हा और दुल्हन घर के शौचालय का प्रयोग करेंगे तो इससे उनकी किस्मत को बुरी नजर लगेगी. इससे बचने के लिए नए जोड़े शौचालय के लिए घर से बाहर जाते हैं.
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टिडॉन्ग समुदाय के लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि इस मान्यता को नहीं मनाने वाले जोड़े या किसी एक की मौत हो सकती है. यदि ऐसा नहीं होता है तो ऐसी शादी ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती. नए जोड़े को शादी के तीन दिनों तक कम से कम खाना दिया जाता है. तीसरे दिन की समाप्ति पर उनका आम जिंदगी में स्वागत किया जाता है.Next…
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