आपने रोप वे (रस्सी रास्ता) देखा होगा. पर्यटन स्थलों पर रोप वे का इस्तेमाल ऊंचाई चढ़ने या दुर्गम स्थानों तक पहुँचने के लिए किया जाता है. प्रत्येक रोप वे की क्षमता अलग-अलग होती है. अब आप थोड़ा हैरान होंगे क्योंकि इसी ‘रोप वे’ की तरह एक समूचा ट्रेन ही हवा में लटककर हजारों यात्रियों को रोजाना अपने गंतव्य तक पहुंचाती है. विश्व में इस ट्रेन को ‘हैंगिंग ट्रेन’ के नाम से जाना जाता है. ट्रेनों के इतिहास में यह ट्रेन विज्ञान और तकनीक का सबसे बेहतरीन नमूना है.
जर्मनीमें‘हैंगिंगट्रेन‘
यूरोपीय महाद्वीप में स्थित विकसित राष्ट्र जर्मनी अपने उत्कृष्ट तकनीक के लिए विश्व विख्यात है. यहां चलने वाली ‘हैंगिंग ट्रेन’ इसकी एक मिसाल है. यह रेल सेवा काफी पुरानी है, इसकी शुरुआत 1901 में हुई थी. जर्मनी के वुप्पर्टल इलाके में चलाई जाने वाली हैंगिंग ट्रेन काफी लोकप्रिय है. रोजाना करीब 82 हजार से भी अधिक यात्री इस ट्रेन में यात्रा करते हैं. हैरानी होती है क्योंकि सौ सालों से भी अधिक समय बीतने के बाद भी किसी देश ने इस हैंगिंग ट्रेन की नकल सार्वजनिक वाहन के लिए नहीं किया.
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‘हैंगिंगट्रेन‘दुर्घटना
ऐसा नहीं है कि हैंगिंग ट्रेन हवा में लटकी रहती है तो दुर्घटनाओं की संभावनाएं अधिक होती होगी. यदि हैंगिंग ट्रेन की दुर्घटनाओं पर नजर डालें तो पता चलता है कि 100 सालों से भी अधिक के इतिहास में यह ट्रेन अब तक मात्र एक बार दुर्घटना ग्रस्त हुई थी. यह दुर्घटना 1999 में तब हुई जब ट्रेन वुप्पर नदी में गिर गई थी, जिसमें 5 लोग मारे गए थे और करीब 50 घायल हो गए थे. इस दर्घटना के अलावा 2008 और 2013 में भी मामूली दुर्घटनाएं हुई थी, लेकिन उसमें किसी की मौत नहीं हुई. हैंगिंग ट्रेन के ट्रैक की लंबाई 13.3 किलोमीटर है. ट्रेन के रुकने के लिए 20 स्टेशन बनाए गए हैं और ट्रेन बिजली से चलती है.
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इसलिएचलाईगई ‘हैंगिंगट्रेन’
वुप्पर्टल शहर 19वीं शताब्दी के अंत तक अपने औद्योगिक विकास के चरम पर पहुंच गया था. यहाँ सड़कें सामान ढ़ोने और पैदल चलने वाले लोगों के लिए थी. पहाड़ी इलाका होने की वजह से जमीन पर चलने वाली ट्रामें या अंडरग्राउंड रेल चलाना मुस्किल था. इस स्थिति में तब कुछ इंजीनियरों ने हैंगिंग ट्रेन चलाने का फैसला किया. माना जाता है कि यह दुनिया की सबसे पुरानी मोनो रेल है. Next…
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