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90 फीसदी पूरी तरह से ठीक होकर जाते हैं यहां से मरीज!

उत्तर प्रदेश के बागपत रोड स्थित गांव पांचली खुर्द में महात्मा जगदीश्वरानंद आरोग्य आश्रम है. यह कोई साधारण आश्रम नहीं है क्योंकि इस आश्रम ने लाइलाज बीमारियों से पीड़ित कई रोगियों को नई जिंदगियां दी है. यह आश्रम वर्ष-1972 से संचालित किया जा रहा है. इस आश्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ पांच तत्वों (हवा, पानी, मिट्टी, अग्नि और धूप) से तमाम बीमारियों का उपचार किया जाता है. यह आश्रम असाध्य रोगियों के लिए आखिरी पड़ाव होता है क्योंकि जब बड़े-बड़े अस्पतालों से निरासा मिलने के बाद लोग यहां आते हैं और स्वस्थ होकर जाते हैं.


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आश्रम में गरीबों लोगों को निशुल्क इलाज की व्यवस्था है. अन्य लोगों को एक निर्धारित शुल्क अदा करना पड़ता है. यहाँ मरीजों के लिए कई तरह के कमरों की व्यवस्था है. मरीज जिस कमरे में रहना चाहते हैं, उसका चार्ज भी उसी के हिसाब से लगता है. इस आश्रम में रोजाना का खर्च 250 से 800 रुपये तक है.



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इस आश्रम में इलाज़ करा चुके केपी सिंह (जो गोवा में फाइनेंस का काम करते हैं) का कहना है कि वे अपने उल्टे हाथ से सीधा कान नहीं पकड़ पाते थे. केपी सिंह के हाथ का मूवमेंट खत्म हो चला था. उन्होंने गोवा से लेकर मुंबई तक कई चिकित्सकों को दिखाया पर कोई लाभ नहीं मिला. जब वे सभी जगह से हार गए तो किसी की सलाह पर पांचली खुर्द के आरोग्य आश्रम आए. वे अपनी पत्नी के साथ यहां आ गए. 21 दिनों तक चले उपचार के बाद वे अपने उल्टे हाथ से सीधा कान पकड़ने लगे. साथ ही अपने कमर के पीछे दोनों हाथ की अंगुलियों को भी छू पा रहे थे.


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एक अन्य उदाहारण बिजनौर के आदित्य वीर सिंह का है. सिंह लंबे समय से जोड़ों के दर्द से पीड़ित थे. तमाम जगह दिखा कर हार चुके सिंह ने वर्ष-2007 में आरोग्य आश्रम आए. यहां लगभग एक माह तक उनका उपचार किया गया. पूरी तरह से ठीक होने के बाद ही वे घर गए. अब पुन: कमर का दर्द ठीक कराने के लिए ही आए हैं.



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महात्मा जगदीश्वरानंद आरोग्य आश्रम में 14 लोगों की टीम मरीजों का उपचार करती है. यहां एक साथ में 60 लोगों का उपचार करने की व्यवस्था है. यहाँ मरीजों की कतार लम्बी होती है ऐसे में लोगों को थोड़ा इंतजार करना पड़ता है. यहाँ आए मरीजों का कहना है कि यहाँ ‘देर है, लेकिन अंधेर नहीं है’. आश्रम के डॉ. काशीनाथ किरनापुरे कहते हैं कि आश्रम में हर साल 700-800 मरीज उपचार के लिए आते हैं. इसमें 90 फीसदी पूरी तरह ठीक होकर जाते हैं. 10 फीसदी वे लोग हैं, जो उपचार के कड़े नियमों का पालन नहीं कर पाते.


आरोग्य आश्रम में आने से हो जाएगा. Next…


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