इतिहास गवाह है कि हम भारतीयों ने सीमित संसाधनों में ऐसा काम किया है जो संसार के दूसरे विकसित मुल्कों के लिए काबिल-ए-गौर है. एक बार फिर भारत भूमि के एक होनहार “गुदड़ी के लाल’ ने कमाल कर दिया है. इस छात्र ने साबित किया कि मजबूत इच्छा शक्ति के आगे, सीमित व कम संंसाधन जैसे अवरोध आड़े नहीं आते. साथ ही यह भी साबित किया हैं कि प्रतिभावान छात्र किसी प्रतिष्ठित संस्थान के मोहताज नहीं होते. दिल में लगन हो तो छात्र गुरुकुल से दूर जंगल में मेहनत कर एकलव्य बन सकता है.
होनहार छात्र ने इस ड्रोन को बनाया उसका नाम सुमित रंजन है. सुमित अभी सेंट्रल स्कूल में 12वीं का छात्र है. उनके पिता राज किशोर पांडेय एमआर हैं.
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ड्रोन की विशेषता
अभी तक जो भी ड्रोन हमारे पास उपलब्ध है वह घुमावदार हवा में फंसकर ध्वस्त हो जाते हैं. सुमित के ड्रोन में टेल वोरटेक्स कंट्रोल प्रणाली लगाई गई है. इस प्रणाली से ड्रोन सुरक्षित रहेगा. नए ड्रोन में ईएमपी का उपयोग इस हेलिस्कारपियन में डेमोन्सट्रेशन हेतु एक मॉडल प्रोजेक्ट के रूप में किया गया है. इसका आधुनिक तकनीक ताकतवर इलेक्ट्रोमैगनेटिक पल्स छोड़ना है.
दुश्मन की संचार प्रणाली मिनटों में नष्ट
छात्र एवं युवा आविष्कारक सुमित रंजन के द्वारा बनाएं इस ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस हेलिस्कारपियन से निकले ईएमपी दुश्मन के सीमा क्षेत्र में आने वाले किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को बर्बाद कर सकता है. इस आधुनिक ड्रोन से दुश्मन के संचार प्रणाली को मिनटों में क्षति पहुंचाई जा सकती है. इस कारण दुश्मन के वायरलेस और कंप्यूटर सिस्टम ठप हो सकते हैं. ड्रोन के हमले से दुश्मन आपस में जब संवाद स्थापित नहीं कर पाएगें और ऐसे में उन्हें आसानी से गिरफ्तार किया जा सकेगा.
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इससे पहले 22 आविष्कार कर चूका है
होनहार सुमित ने अब तक 22 आविष्कार कर चुके हैं. सुमित के सभी आविष्कार सामान्य जनहित के लिए हैं. सुमित अपनी पढ़ाई के साथ जर्मन काउंसिल फॉर लो एनर्जी न्यूक्लियर रिएक्शन के एक्टिव मेंबर हैं. इसके अतिरिक्त सुमित नाबार्ड के अंतर्गत काम करने वाली संस्था एनएचएफ में वॉलेंटियर रिसर्चर भी हैं. सुमित का सपना है कि वह थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट बनकर ऑटोमोबाइल एवं एक वेपन इंडस्ट्री खोलें.Next…
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