बाज़ार हो, रेस्त्रां हो या हो सड़क, उसके साथ वो जरूर रहती है. वह उसकी बेटी-सी दिखती है जिससे उसकी खुशियाँ जुड़ी हुई है. उसके साथ वो सुकून महसूस करता है.
लेकिन, ये सुकून उसे ऐसे नहीं मिला. आज से दो साल पहले वो बीमार रहता था. सिरदर्द के कारण वह लगातार डिप्रेशन की स्थिति से गुजरता था.
इस अवस्था ने उसकी सोच को प्रभावित किया. नकारात्मकता ने उसके मन को अपना ठौर बना लिया. वह इस सोच से चिंतित रहने लगा कि अब कोई लड़की उसके साथ शादी करने को तैयार नहीं होगी और न ही वह बच्चों का सुख भोग पायेगा.
इसी सोच में घुलते-घुलते सॉन्ग बो को एक बार इंटरनेट ब्राउजिंग के दौरान एक गुड़िया दिख गयी. यह गुड़िया बच्चों जैसी दिखती थी.
बो ने बिना देरी किये इस गुड़िया को खरीदने के लिये ऑर्डर किया. गुड़िया मिल जाने के बाद उसने सबसे पहले उसका नाम रखा. अपनी निर्जीव गुड़िया जियाओ डे को हमेशा अपने साथ रखता है. उसे लगता है कि यह उसकी बेटी है. इस गुड़िया जियाओ डे को अपनी बेटी की तरह रखने वाला बो जहाँ भी जाता है उसे अपने साथ लेकर जाता है.Next…..
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