कहते हैं दुनिया में कुछ भी असम्भव नहीं. लेकिन जिंदगी और मौत के बीच का फासला पाटना अत्यंत मुश्किल होता है. यह तब और मुश्किल हो जाता है जब एक माँ की आँखों के सामने अपने दो बेटों को हर पल मौत के करीब जाते देखने को विवश हो जाये. उसकी विवशता तब आँसुओं का धार बन उसकी आँखों से निकल जाती है. उसके लिये एक-एक पल काटना मुश्किल हो जाता है. अपने बेटों को बचाने की जद्दोजेहद में वो कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो उठती है. आज ठीक यही स्थिति एक माँ की है जो अपने दोनों बेटों को मौत से जूझते देख रही है.
इस माँ के दोनों बेटे यूरेमिया नामक बीमारी से जूझ रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं. 26 और 24 वर्ष के अपने बेटों को मरते देखना इस माँ की विवशता बन कर रह गयी है और किसी से मदद की आस एक विकल्प. इनके जिंदा रहने की एक शर्त यह है कि इनके शरीर में गुर्दों का प्रतिरोपण हो जाये.
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चीन की रहने वाली इस माँ लियान रोंघुआ के पास दूसरा विकल्प यह है कि वो दोनों बेटों को अपने गुर्दे दे दें. उनके दोनों बेटे 26 वर्षीय लि हायक्विंग और 24 वर्षीय लि हायसोंग अस्पताल के बिस्तर पर एक-दूसरे को ढाढ़स बँधा रहे हैं. लेकिन बड़ा भाई अपनी माँ और छोटे भाई को बचाने की बात पर अड़ गया है. उसने कहा है कि उसकी माँ छोटे भाई लि हायसोंग को अपना एक गुर्दा देकर उसकी जान बचा ले.
दो जवान बच्चों के पिता श़ुकाइ उच्च रक्तचाप के कारण अपने गुर्दे देने में असक्षम हैं. इस परिवार की वित्तीय हालत भी ऐसी है कि इनके लिये शल्य-चिकित्सा का ख़र्चा उठाना मुश्किल होते जा रहा है. चिकित्सकों के अनुसार माँ लियान केवल एक ही गुर्दे दान कर सकती है. एक माँ के लिये इससे मुश्किल घड़ी और क्या होगी जब उसे यह निर्णय लेना पड़ा होगा कि वो अपने दो बच्चों में से किसे बचाये और किसे नहीं! इस माँ की संवेदनाओं अंदाज़ा आप पाठकों को भी होगा. इस ख़बर पर आप अपनी संवेदनायें व्यक्त कर सकते हैं.Next…
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