ख़ाप पंचायतों के फरमान और मौलवियों के फतवे न मानने वाला टौंकपुरी टांडा गाँव शादी से संबंधित अनोखी प्रथाओं के कारण चर्चा में है. यहाँ शादी की कुछ रस्में प्रचलन में हैं. इन रस्मों का विद्यालय में देरी से पहुँचने वाले विद्यार्थियों से कोई सीधा संबंध नहीं है. लेकिन एक शब्द शादी की इस रस्म और पुराने समय में देर से विद्यालय पहुँचने वाले विद्यार्थियों को जोड़े रखती है.
लगभग 10,000 आबादी वाले इस गांव में शादी संबंधी कुछ दिलचस्प प्रथायें प्रचलन में है. इस गांव में शादी की एक रस्म के अनुसार अगर बारात वधू पक्ष के दरवाज़े पर देरी से पहुँचती है तो बारातियों पर हर मिनट 100 रुपये के हिसाब से जुर्माना लगाया जाता है. इसके अलावा शादी के दौरान लोगों को गलियों में नाचने और ढोलक बजाने की इजाजत नहीं है. शादियों में खाने की बर्बादी पर भी रोक है.
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गाँव के ही लड़के-लड़की की शादी को यहाँ शुभ माना जाता है जबकि अगर किसी लड़की की बारात दूसरे गांव से आती है तो उसे अपवित्र माना जाता है. इस प्रथा की वजह से गाँव की बेटियाँ बुरे इरादों वाली असामाजिक तत्वों से बची रहती हैं. इनका ये भी मानना है कि इन प्रथाओं की वजह से उनके पूर्वजों के स्थापित नैतिक और धार्मिक मूल्यों की उपेक्षा नहीं हो पायेगी. न चाहते हुए भी बारातियों पर हर मिनट सौ रूपये का जुर्माना पुराने समय में देर से विद्यालय पहुँचने वाले विद्यार्थियों पर शिक्षकों द्वारा लगाये जाने वाले जुर्माने की याद दिला जाता है.Next….
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