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इन देशों में मौत से भी भयंकर सजा पाते हैं नशेड़ी

. नशा करना न केवल एक सामाजिक बुराई है बल्कि किसी राष्ट्र के लिए घातक भी है. नशाखोरी का एक पहलू यह भी है कि नशे के आदी लोग नशे को गलत तो समझते है और इससे मुक्ति भी पाना चाहते हैं पर लाख कोशिशों के बाद भी निकल नहीं पाते. संसार में ऐसी कई संस्थाएँ हैं जो नशे से मुक्ति दिलाने का दावा काम करती हैं. लेकिन इनके अनोखेपन को जानकर आप हैरान हो जाएंगे.


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पूर्वी अफ़गानिस्तान में नशे की लत  छुड़ाने के लिए अमानवीय तरीकों का सहारा लिया जाता है. किसी नशाखोर को नशामुक्ति के लिए उसे मजार के पास मोटे-मोटे ज़ंजीरों से 40 दिनों तक बाँध कर रखा जाता है. यहाँ नशे के आदी लोगों को 40 दिनों तक खाने में रोटी के साथ काली मिर्च और पानी दी जाता है. पूर्वी अफ़गानिस्तान के कई लोगों का मानना है कि नशाखोर का यह एकमात्र  बेहतरीन ईलाज है.


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पूर्वी अफ़गानिस्तान के लोगों का यह भी कहना है कि जब नशेड़ियों को मज़ार के पास ज़ंजीरों से बांधकर रखा जाता है तो मीर अली बाबा उनकी मदद करते हैं. दरअसल मीर अली बाबा के नाम पर ही यह मज़ार बनाई गई है.


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पेरू दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीप में स्थित एक देश है. यहाँ हर साल सैकड़ों लोग अयाउआस्का केंद्र पर आकर अपना ईलाज कराते हैं. यहाँ सभी मरीज़ों का प्राकृतिक रूप से ईलाज किया जाता है. हालाँकि अयाउआस्का केंद्र का ईलाज हमेशा विवादों के घेरे में रहा है. पश्चिमी डॉक्टरों का कहना हैं कि उनकी इन दवाओं से वमन, बहुत ज्यादा पसीना आना, पेट खराब होना और डरावनी चीजें दिखने जैसी शिकायतें हो सकती है. यहां तक कि इससे कमजोर दिल वाले मरीज की मौत भी हो सकती है. इस तरह का ईलाज कई देशों में प्रतिबंधित है.


चीन में नशा मुक्ति के लिए मरीजों को जेल भेज दिया जाता है. कोकिन, हेरोइन या गांजे के साथ पकड़े जाने पर सुधार गृहों में भेजकर मरीजों से कसरत करवायी जाती है. इस पूरी प्रक्रिया पर कई मानव अधिकार संगठनों ने विरोध जताया है. उनका मानना है कि चीन इन मरीजों से काम करवाकर उनका शोषण कर रहा है.


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किर्गिस्तान में तो नशामुक्ति का ईलाज इस कदर होता है कि मरीज कोमा में चला जाता है. डॉक्टर द्वारा तैयार की गई यह कोमा-विधि शायद नशा छुड़ाने का सबसे जोख़िम भरा तरीका माना जाता है. इस ईलाज में मरीजों को सुई लगायी जाती है जिससे वे घंटों के लिए कोमा में चले जाते हैं. मरीज़ बिलकुल बेसुध हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि जब मरीज़ दोबारा होश में आता है तो नशे की लत छूट चुकी होती है. डॉक्टरों ने  इस तकनीक को खतरनाक बताया है.Next…


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